रविवार, 9 जनवरी 2022

युपी की जनता से निवेदन

देश के पांच राज्यों में चुनावों की घोषणा हो चुकि है । सभी राजनैतिक दल अपनी अपनी साठ गांठ में लग गये हैं। बात करें युपी की तो सभ को जानकारी है कि अगर हम वंशवाद जातिवाद सम्प्रदायवाद को छोङकर विकास अपराध पर नियंत्रण, महिला सुरक्षा, रोजगार की बात करें तो भाजपा का कोई तोङ नही है। लेकिन योगी जी के विजय रथ को रोकने के लिए जिनके बाप दादाओं का गठबंधन नही हुआ आज अखिलेश और जयंत एक जुट होकर चुनावों में उतरकर अपनी साख बचाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन जिस तरह से 2017 से उत्तर प्रदेश में न कोई जातिय न साम्प्रदायिक दंगा हुआ, अपराध पर नियंत्रण की बात करें गांव से लेकर बङे शहरों तक सभी को जानकारी है कि किस तरह से आज बङे बङे अपराधी सरकार के सामने समर्पण कर चुके हैं अपराध छोङने का संक्लप ले चुके हैं । आज उत्तर प्रदेश में लोग निर्भय होकर निडर होकर रह रहे हैं इससे ज्यादा क्या विकास हो सकता है। जी खास बात क्या है कि उनको अपना वंश नही बढाना सम्पुर्ण उत्तर प्रदेश ही उनका है । उत्तर प्रदेश की जनता को हर बिंदु से सोच समझ कर मतदान करना चाहिए । अगर जनता ने जाति धर्म सम्प्रदाय के देखकर अपने नेता का चुनाव किया तो प्रदेश के हीत में नही होगा। जय श्री राम

शनिवार, 8 अगस्त 2020

JAI SHRI RAM JI

बुधवार, 24 अगस्त 2016

आज कृष्ण जन्माष्ठमी है।


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परित्राणाय साधुनांम विनाशाय च दुष्कृताम, धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे, 🐚🐚🐚🐚🐚🐚 यह अपराध मुक्त समाज और महिला सुरक्षा के महानायक का महान जन्मोत्सव है। सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। आज सारा देश कृष्ण भक्ति की दीवानगी से सराबोर है। और सारे मंदिर दुल्हन की तरह सजाये गए है। हर माँ यही कल्पना करती है कान्हा जैसा पुत्र की प्राप्ति हो। मित्रों में आज कुछ नहीं कहना चाहता था लेकिन श्री कृष्ण जी की प्रेरणा से कहना पड़ रहा है कि आज सारी दुनिया कान्हा का जन्मदिन हर्षोल्लास से मना रही है लेकिन उनके अवतार लेने के मकसद को भूल गए है। श्याम जी ने बचपन में छोटे बच्चों से लेकर युवाओं तक को नशे से दूर रखने के लिए सबको अपने साथ रखा, अपराध को रोकने के लिए बड़े बड़े अपराधियों का विनाश किया, जरासन्द जैसे अपराधी के चंगुल से 16000 से ज्यादा महिलाओं को आज़ाद कराया। भरी सभा में एक अबला नारी को वस्त्रहीन करने के प्रयास को असफल किया। मेरा निवेदन है कि कृष्ण जन्मोत्सव पर आज संकल्प करे की उनके अवतार लेने के उद्देश्य को हम याद रखेंगे और अपराध मुक्त समाज के लिए जितना हमसे हो सकता है सहयोग करेंगे। तभी श्याम जी की भक्ति सफल होगी। शिवा तोमर-9582249616 अपराध मुक्त अभियान

गुरुवार, 7 जुलाई 2016

महिला सुरक्षा खोखली बातें है

हर सरकार, हर नेता और प्रशासन सारा समाज महिला सुरक्षा और महिला उत्थान और उनके अधिकारों के बड़े बड़े दावे करते है लेकिन मित्रो असलियत सब खोखला है, बस कागजों में और संसद में लोग अपनी वोटों की खातिर बात करते है और उनकी बातें सुनकर ऐसा लगता है की हर व्यक्ति बहुत गंभीर है। मेरे सामने अभी दो मामले आये जिससे मेरा सारी व्यवस्था से विस्वास उठ गया है। हुआ यूँ की कल रात में एक केस विकासपुरी से हमारे यहां अपराध मुक्त अभियान के कार्यालय में आया एक बीमार महिला अपनी 7 साल की बेटी के साथ अपने ससुराल के घर के बहार बैठी थी। यह लड़की अपनी पीड़ा को लेकर हमारे पास पहले भी आई थी, उसने हमें बताया की मेरे साथ बहुत वर्षों से इतना अत्याचार कर रहे है की में शब्दों में नहीं बता सकती, और उसकी हालात देखकर भी लगता है की कितना अपमानित और प्रताड़ित किया होगा, पड़ोसियों ने बताया था की कई कई दिन इसको खाना भी नहीं दिया। तो कल जब वह अपनी 7 साल की बेटी को लेकर अपनी ससुराल आई तो इतनी गर्मी में आग उगलते तापमान में बहार बैठी रही लेकिन उसके ससुर सामने बैठे लेकिन इतनी गर्मी में वो नहीं पिंघल सके। और उस बीमार मजबूर और बेबस महिला को अपराध मुक्त अभियान में अजय त्यागी जी के पास फोन किया की मेरी सहायता करो और फोन पर ही रोने लगी। त्यागी जी ने मुझे कहा की शिवा देखना भाई एक बार जाओ तो मैंने पहले स्वाति मालिवाल जी के नम्बर पर फोन करके पूरी जानकारी दी। इस बार हम कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहते थे। वहाँ से भी कौन्सेलर आई। उन्होंने उसके ससुर और ससुर के छोटे भाई से बात की लेकिन वो लोग बड़े घाघ है, किसी की बात मनाने वाले नहीं है। महिला आयोग वाली ने हर प्रकार से समझाया लेकिन वो टस से मस नहीं हुए । आखिर हम लोग पीङीत महिला को लेकर पूरी टीम अजय त्यागी, सुरेश कुमार, बलवान चंदेला, अखिलेश पांडे और संदीप कुमार के साथ थाने चले गए। वहां जाकर पता चला की उस बेचारी ने बहुत सारी 100 नम्बर पर कॉल की है और किसी भी काल पर पुलिस ने उसके ससूराल वालों पर कोई कारवाही नही की। जो उनका केस देख रहा था वो हमारे सामने उस लड़की की हजारों निकालने लगा, उसकी बात सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे वो पुलिस वाला नहीं लड़के वालों के घर का कोई आदमी है। उसने स्पस्ट कहा की हम इसको घर में नहीं घुसा सकते। महिला आयोग भी विवश। और वो महिला थाने में ऐसे अकेली खड़ी है जैसे उसका इस दुनिया में कोई नहीं है बिलकुल अकेली बेसहारा और अनाथ हो। मुझे मोदी जी के बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ योजना का याद आई की क्यों इस कुंठित समाज में मोदी जी अच्छे दिन खोज रहे हैं और चिंता उन माँ बाप की हुई जिनके घर के आँगन में छोटी कलियाँ चहकती खेलती है। मुझे लगा की कोई कितनी भी बाते कर ले बड़े बड़े वायदे कर ले लेकिन जब तक इस कमीनेपन और लालच पर कठोर अंकुश नहीं लगेगा तो कुछ नहीं हो सकता। लड़के वाले तो एक सुनियोजित और योजनाबद्ध तरीके से चल रहे है, लड़के के पिता ने लड़के और बहु को अपनी चल अचल संपत्ति से बेदखल किया हुआ है। और उस मजबूर और बेसहारा को तो यह भी नहीं पता की तेरे खिलाफ कितनी खतरनाक साजिश इन लोगों ने कर रखी है। लड़की के भाई ने भी लड़ाई कर दी और कहा हम कब तक तुझे अपने घर रखेंगे और लड़के वालों ने घर पर ताला लगा दिया, तो वो महिला कहाँ जाये। में भी बहुत उदास और हताश हो गया जब पोलिस जाँच अधिकारी ने और महिला आयोग ने कहा की कुछ नहीं हो सकता अब तो अदालत ही करेगी इनका कोई फैसला। ओर अदालत का तो अपना तरीका है कई साल लग जाते है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतने दिन फैसले के इंतजार में मजबूर महिला कहाँ जाये, क्या करे, क्या खाये अपने आंशुओं से अपने बच्चों को कैसे पालेगी। माननीय मोदीजी, लोकसभा स्पीकर माननीय सुमित्रा महाजन जी, केजरीवाल जी, राजनाथ जी, सर्वोच्च न्यायालय मेरा सभी से निवेदन है की कोई ऐसा कानून लाओ जो हमारी बहन बेटी जो कानून की आँखों पर बंधी पट्टी के कारण आज प्रताड़ित और अपमानित हो रही है, उसमें सुधार हो। इस कानून में कोई संसोधन होना चाहिए जो दहेज़ के लालची दूसरों की बेटी की कोई इज्जत नहीं समझते और खतरनाक योजना बनाते है की लड़की खुद ही दुखी होकर भाग जाये और उसके माँ बाप कुछ भी नहीं कर सके। अगर बेदखल लङके को कर रहे हैं तो शादी के समय तो बेदखल नही किया था, पिता और घर को देखकर ही तो लङकी के माता पिता शादी करते है। यह घिनोनी साजीश लोग करते हैं इसमें कोई संसोधन होना चाहिए। आज हालात यह है की कागजों में और लङकी से पिछा छुङाने के लिए लङके को बेदखल कर देते हैं और अपने पास ही रखते हैं। इसमें कुछ संसोधन होना चाहिए क्या राय है आप सभी की जरूर बतायें। अपराध मुक्त अभियान 9582249616, 9971731203

शुक्रवार, 6 जून 2014

नकसीर (Epistaxis)-

नकसीर (Epistaxis)- नाक में से खून बहने के रोग को नकसीर कहते हैं| नकसीर के रोग में अचानक पहले सिर में दर्द होता है और चक्कर आने लगते हैं,इसके बाद नाक से खून आने लगता है | यह रोग सर्दी की अपेक्षा गर्मी में अधिक होता है | नकसीर रोग ज़्यादा समय तक धूप में रहने से हो जाता है | कुछ लोग गर्म पदार्थों का सेवन अधिक करते हैं जिसकी वजह से भी नाक से खून निकल सकता है | नकसीर का उपचार विभिन्न औषधियों द्वारा किया जा सकता है - १- तुलसी के पत्तों का रस ३-४ बूँद दिन में २-३ बार नाक में डालने से नकसीर में लाभ मिलता है | २- आधे कप अनार के रस में दो चम्मच मिश्री मिलाकर प्रतिदिन दोपहर के समय पीने से गर्मी के मौसम में नकसीर ठीक हो जाती है | | ३- प्रतिदिन केले के साथ मीठा दूध पीने से नकसीर में लाभ होता है | यह प्रयोग लगातार दस दिन तक अवश्य करना चाहिए | ४- बेल के पत्तों का रस पानी में मिलाकर पीने से नकसीर में लाभ मिलता है | ५- लगभग १५-२० ग्राम गुलकंद को प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ खाने से नकसीर का पुराने से पुराना रोग भी ठीक हो जाता है | ६- अगर ज़्यादा तेज़ धूप में घूमने की वजह से नाक से खून बह रहा हो तो सिर पर लगातार ठंडा पानी डालने से नाक का खून बहना बंद हो जाता है | ७- गर्मियों के मौसम में सेब के मुरब्बे में इलायची (कुटी हुई) डालकर खाने में नकसीर में बहुत लाभ होता है | सावधानियां - नकसीर रोग में रोगी को भोजन में गर्म तासीर वाले पदार्थ तथा मिर्च मसालों का सेवन नहीं करना चाहिए तथा रोगी को धूप में घूमने और आग के पास बैठने से भी बचना चाहिए |

मंगलवार, 19 जून 2012

मोदी जैसा कोई नही........


नरेंद्र मोदी एक ऐसा नाम जिसको लोग देश के भविष्य विकास हिंसा मुक्त समाज के रूप में देख रहे हैं। हम मानते हैं कि गुजरात में दंगे हुए थे और उस बारें में पता नही कोन कोन सी कमैटिया बैठाकर देख ली सरकार ने लेकिन परिणाम जस के तस। देश का दुर्भाग्य है कि यहां राजनीति जो होती है वो किसी मुद्दे को लेकर नही होती यहां पर होती है जाति के नाम पर धर्म के नाम पर सम्प्रदाय के नाम पर भाषा के नाम पर। यहां के नेताओं को विकास से कोई लेना देना नही है, कोई मरता मरो उन्हे चाहिए जो करोंङों खर्च करके जीते हैं उनसे 10 गुणा कैसे बने। मैंने तो आज तक मोदी जी का नाम किसी घोटाले में नही सुना। हां एक दिन जब उनका सद्भावना उपवास था तो मैं शुरू से ही देख रहा था मैं ही क्या सारा देश देख रहा था। वो उपवास पर बैठने से पहले अपनी मां का आशिर्वाद लेने के लिए उनके निवास स्थान पर गये तो उस भोली और भारतीय मां ने इस सपुत को एक रामायण और 101 रूपया दिया था। और शायद उस दिन जी जन्मदिन था। क्या देश को ये दृष्य याद नही अगर यही जन्मदिन मायावती का या सोनिया जी होता तो आपको पता ही क्या भेंट दी जाती। हां यह भी सत्य है कि मोदी जी सख्त शाशक है और यह होना भी बहुत आवस्यक है जो शाशक सख्त नही होगा मुलायम होगा वहां पर व्यवस्था बिगङती ही रहेगी देख लो देश का हाल। और भगवान ने गीता में भी कहा है हे अर्जुन शाशन करने वालों में यमराज हुं में……. तो यह भी कोई गलत नही है। यह काल अंधकार का काल है लुट खसोट का समय है सब सोचते हैं कि किसी भी तरह से धनादि का संग्रह कर लो पता नही कल क्या हो हम सरकार में दोबारा आये या ना आये। मोदी जी के गले में हमने तो आज तक नोटो की माला नही देखी। और जैसा मैंने सुना है कि उनके खाते में एक या दो लाख से ज्यादा रूपये भी नही होंगे। तो ऐसे आदमी पर क्या हम उंगली उठा सकते हैं। जब भ्रष्ट लोगों को उनके खिलाफ कुछ नही हाथ लगता तो 2002 के दंगो की चिंगारी से उनका बेदाग सफेद कुर्ते को जलाने की सोचते हैं लेकिन उन मुर्खों को नही पता कि उस सफेद कुर्तें वो शील वस्त्र है जो प्रहलाद को होली की आग के अंदर से भी सुरक्षित निकाल लाया था। दंगे में काफी लोग मारे गये थे लेकिन जो लोग अयोध्या से आ रहे थे उनको कोई नही याद करता जिन बेचारों को रेल के अंदर जिंदा जला दिया गया था, हां उनको याद करके अपना वोटबैंक भरने की योजना बनाते रहते हैं जो असली दंगे में मारे गये थे कोई भी दंगा एक तरफ से नही होता। वो तो मोदी जी की समझदारी देखो की किस तरह से हालातों को सुधारा और उसके बाद में आज तक कोई कर्फ्यु नही लगा वरना वहां के हालात ऐसे थे कि आये दिन बंद करना पङता था। जो लोग दंगे में मारे हुए लोगो की दुहाई देकर कहते हैं मोदी दोषी है उनको किसी से कोई लेना देना नही है बस वोटों की आग है। हिंसा तो हिंसा है उसमें कोई यह नही देखता कि मरने वाला कोन है। और एक सबसे बङी बात देखो राजनीति की एक बदमाश जिसकें आतंकियों से नाता था दर्जन भर से भी ज्यादा केस चल रहे थे सोहराबुदीन उसका एनकाउंटर हुआ उस केस में 3 आई पी एस अधिकारी और एक मंत्री को जेल जाना पङा। मैं तो आपसे ही पुछता हुं कि अपराध हिंसा अन्याय अत्याचार खत्म करना गलत है क्या ……… अगर गलत है तो मोदी भी गलत है

शनिवार, 28 अप्रैल 2012


बाबा-बाबा ना रहे,, नेता- नेता ना रहे........... पहले बाबा नाम को लोग बङी श्रद्धा से लिया करते थे और नेताओं के तो पिछे लोग अंधे होकर चलते थे। लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि बाबाओं से भी लोग घबराने लगे हैं, और नेताओं से तो दहशत में हैं। इसका क्या कारण है, जानते तो सब हैं लेकिन क्या करें हमारा देश बापू गांधी का देश है बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, बुरा मत देखो बस सहते रहो। पहले नेता होते थे कि जनता के दुखों को देखकर रो उठते थे, लेकिन आजकल तो कुछ अच्छा ही हो रहा है जनता को रोटी के लाले पङे हैं. और नेताओं के विदेशों में बैंक खाते भरे पङे हैं। बाबाओं के पास लोग इस संसारी दुख और माया से थोङा विरक्त होने के लिए जाते थे लेकिन आज तो हमारे बाबा ही माया पति हुए बैठे हैं, तो जनता किस उद्देश्य से जाये। जिस मारा मारी में एक ग्रहस्थ पङा है उसी मारा मारी में बाबा पङे हैं। तो फिर क्यों जाये बाबा के पास............................ लेकिन जनता आज भी भगवे धारी को भगवान ही मानती है उन्हें ये नही पता की देखो निर्मल बाबा को शराब चढवा कर. गोल गप्पे खिलाकर और औरतों को पर्स में ज्यादा पैसे रखकर और खरीद दारी करके लोगों के कष्टों का निवारण कर रहे हैं। और कई बाबाओ ने तो अपनी दुकान तक खोल ली है कि नहाने के लिए साबुन तेल तक हमारे यहीं से ले जाओं। और बाबा रामदेव की तो बात ही ना करो वो तो ऐसे हैं कि माया पति तो हैं ही अगर देश में कहीं कुछ भी हो उसी पर बोलने लगते हैं हां इनके सामने तो नेता भी कुछ कम ही बोलते हैं। इसका सबसे बङा कारण क्या है..................................................... भगवान ने गीता में एक शब्द्ध कहा है कि हे अर्जुन तु मेरा भक्त बन। लेकिन क्या करें सारे बाबा मुझे लगता है कि उनकी यह बात किसी के याद तक नही रही और खुद को ही भगवान समझने लगे हैं। इस बात का हमें ही चिंतन करना है की कहीं ऐसा ना हो की हम हम ही ना रहें तो कैसा होगा। यह बात बङी खतरनाक हो जायेगी इस माहोल को देखते हुए तो मुझे ऐसा लगता है कि जब बाबा बाबा ना रहे, और नेता नेता ना रहे, तो एक दिन ऐसा ना हो जाये पत्नि पत्नि ना रहे पति पति ना रहे, मां मां ना रहे बेटा बेटा ना, रहे नोकर नोकर ना रहे मालिक मालिक ना रहे, पुलिस पुलिस ना रहे और जज जज ना रहे। ऐसी परिस्थिती में देश और पुरी दुनिया का कोन जिम्मेदार होगा अब तो यह भी नही कह सकते की हमें पता नही था। कभी ऐसे हालात बने तो हम सबके याद आयेगा कि था एक पागल जिसने यह बात एक दिन अपने पागल पन में आकर लिख दी थी लेकिन उस समय हमने उसकी बात पर गहराई से चिंतन नही किया था। अगर किस को मेरी बात गलत लगे या कोई गलती हो माफ करना लेकिन मुझे तो मेरे श्याम की इस दुनिया की यही दशा होनी दिख रही है। क्योंकि आज कोई भी जो है वह नही रहना चाहता। बाकि सब स्वतंत्र है।