शुक्रवार, 4 जून 2010

नशे की दलदल में फंसते किशोर


नशे की दलदल में फंसते किशोर
आज सुबह सुबह ही मैंने हिंदुस्तान पेपर पढा तो पढते ही दिमाग झनझना गया। एक नशे की चपेट में किशोर का ग्राफ सा दिया गया है। उसमें लिखा था कि
राजधानी में शराब से प्रतिवर्ष हो जाती 2000 किशोरो की मौत।
और बताया है कि जितने भी लोग वहां पब वगैरह में जाते हैं तो उनमें 80 प्रतिशत 25 वर्ष से कम के युवा हैं, और 67 प्रतिशत 21 वर्ष से कम के हैं और तो और 33 प्रतिशत तो 16 से कम के ही हैं।
क्या आंकङा दिखाया है देखकर ही आंखो के सामने अंधेरा छा जाता है कि क्या होगा इन युवाओं का। जो 16 साल से पहले ही नशे में लग जाते हैं तो क्या होगा। ये खबर पता नही कितने लोगो ने पढी होगी और हो सकता है कि ऊपर से देखकर ही छोङ दी हो कि क्या पढे। आज के आधुनिक युग में तो ये सब आम बात है।
एक लङकी का बयान भी दिया है उसने कहा है कि कनाटपलेस मैं एक बार मुझसे आई डी दिखाने को कहा था लेकिन बसंत बिहार में कभी भी किसी ने आई डी नही देखी क्योंकि वहां में रोज जाती हुं। जाती लङकी का नाम मेघना आहुजा 22 साल बताया है। कितने शर्म और दुख की बात है कि हमारे किशोर जो समय उनके लिए अपना भविष्य संवारने के लिए है उन संवेदनशिल क्षणों में वो नशं में डुबकर सब कुछ भुल जाना चाहते हैं। गलती सारी शराब और पब की नही की वहां आई डी नही देखते या शराब के ठेके ज्यादा खुल गये हैं।
ये बहुत ही संवेदनशिल विषय है हमारे किशोरो को तोङने की साजिश है। भारत की सभ्यता को तार तार करने योजना है और हम सब उस जाल में फंसते जा रहे हैं। जिस देश का किशोर ही नशे में पङकर कमजोर हो जायेगा तो देश की तरक्की क्या वृद्ध करेंगे।
आज के माता पिता की सोच ये हो गयी है कि हमारे बच्चे आधुनिक जमाने के साथ चलें और दुसरो को ये बाते बताकर कितने खुश होते है की लिखने मुशिकल है। लेकिन क्या कभी इसका परिणाम देखा है या कभी कल्पना है........ जो आज बच्चा बियर पी रहा है वो कल शराब पीयेगा पब जायेगा और जब नशा सिर चढता है तो दिमाग में कोई सात्विकता तो आ नही सकती क्रोध हिंसा और वासना की तरफ आकर्शित रहता है और कुछ दिनों तक तो वह किसी भी बात का चिंतन मन ही मन करता है लेकिन पब में कोई शराब पीकर भजन तो गाता नही वहां किस तरह का काम होता है सभी को पता है। एक मासुम बच्चा जो अभी तक सिर्फ बियर पिने के लिए जाता था वहां पर लङकियों को देखकर उन्हे भी भोगने की कोशिश करता है फिर लङकियों से नजदीकी बढाता है तो उसका खर्च भी बढता है। दोस्तों ये वही शुरूआत है जहां से वही बच्चा नशे और सैक्स में पङकर चोरी डकैती लुट खसोट और हत्या तक कर देते हैं। और परिणाम भुगतना पङता है उसके घर परिवार और पुरे समाज को। इस विकट समस्या का समाधान हम सबको ही मिलकर करना है। नही तो हम सबको इस आग में झुलसना पङेगा ये नही सोचो की हमारे बच्चे तो शराब नही लेते हो सकते हैं जो शराब पिकर अपराध करें उसका आप और हम कोई भी हो सकता हैं।
सावधान जाग जाओ नही तो सोते ही रहोगे।