आचरण से मिलती है- महानता
हर कोई अपने को महान बनाना चाहता है l यह सोचता है कि सब लोग मेंरी बात मानें मुझे अपना आदर्श समझे l और झुठी हवा में सारा जीवन खो देता है l सुबह से रात तक जिससे भी मिलता है उसी के समक्ष अपनी तारिफ के पुल बांधता रहता है l स्वयं को श्रेष्ठ दर्शाने के लिए भरकस प्रयास करता है l
लेकिन ऐसा क्या है ???? की चन्द ही लोग इस समाज को अपनी महानता से प्रभावित कर पाते हैं l
हर व्यक्ति चाहता है कि, जैसे नंगे पैर सुती धोती में लिपटे हुए एक कमजोर से आदमी के पिछे देखने के लिए भीङ उमङ पङती थी l उनकी एक एक बात को जनता गुरू मंत्र की तरह ग्रहण करते थे l तुम मुझे खुन दो मैं तुम्हे आजादी दुंगा एक ऐसा व्यक्ति जो अपने देश की सरकार की तरफ से मोस्ट वांटेड की श्रेणी में था लेकिन विदेशी जमीं पर जनता पागलों की भांति उनके पिछे भागती थी l ना कोई लालच, ना स्वार्थ है, बस प्रेम समर्पण और भावना थी l
हम सब भी यही चाहते हैं ना कि हर कोई हमें इसी तरह मानें हमारी बात मानें हमारे प्रति समर्पित हो l अभिलाषा तो सभी करते हैं लेकिन लाखों मध्य कोई चन्द्रमा निकलता है जिसके प्रकाश से सारा संसार प्रकाशित हो उठता है l हर सितारें में चमक आ जाती है l
जरा इस बात पर विचार करें कि कैसे होता है यह सब l क्या किया था ???? ऐसा स्वामी विवेकानंद, सुभाषचंद्र बोष, महात्मा गांधी, टोलस्टोय अरविंद घोष और बाल गंगाधर तिलक ने l
बापु के बाद बहुत से लोगों को ख्याति प्राप्त हुई l लेकिन उनके बाद आज तक कोई ऐसा नही हुआ जो लोगो के जीवन में चमक ला सके l उनको अपनी महानता से प्रकाशित कर सके l
महान बनने की इच्छा रखने से पहले उन लोगो के जीवन का दर्शन करना होगा l जब हमें वह सुत्र हाथ लगेगा l वह रास्ता मिलेगा जिससे लोगों को अपनी महानता से प्रभावित कर सके l
जितने भी आज तक विस्व के मार्ग दर्शक हुए इतिहास ने जिन विभुतियों को अपने अंदर अलंकारित किया l उन सबका अध्ययन करने पर एक बात स्पस्ट होती है, कि जो भी व्यक्ति घर, परिवार, जाति और सम्प्रदाय से ऊपर उठकर कार्य करता है वही इतिहास पुरूष बन जाता है l उसे ही सब महान मानने लगते हैं...l
आज देखा जाय तो कितने ही आतंकवादी संगठन हैं l जो घर परिवार की चिंता किये बिना अपने संगठन के लिए काम करते हैं l लेकिन उनकी गणना उन सितारों में नही होती जो अपने नाम से इतिहास की शोभा बढाते हैं l क्योंकि जो कार्य नफरत, हिंसा और घृणा से किया जाता है वह इतिहास में नही पुलिस फाईलों लिखा जाता है l
जो व्यक्ति चार दरवाजे पार करके कार्य करेगा घर, परिवार, जाति और सम्प्रदाय वही समाज में इतिहास में लोगों के दिलों में अपना नाम अंकित कर सकता है l सब उसको महान मानेंगे l
वही ऐसा दिव्य पुरूष बन जायेगा जो अपने तेज से असंख्य सितारों को प्रकाशित कर देगा l
मगर मजबुरी की व्यक्ति की इन्ही चार अङचनों में फंसकर ही भटकता रहता है l और वह इच्छा की लोग हमें महान और श्रेष्ठ समझें दिल की दिल में रह जाती है l आदमी मात्र बातों बातों से ही महान नही बनता l महान बनने के लिए आचरण का पवित्र और सुन्दर होना परिहार्य है l
इस तथ्य को प्रमाणीत किया है महायोगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि श्रेष्ठ पुरूष जैसा जैसा आचरण करते हैं l दुसरे भी वैसा ही करते हैं l इस बात से यह भी सच साबित होता है की जो व्यक्ति अच्छा आचरण करेगा अच्छा कर्म करेगा लोग उसको अपना आदर्श मानेंगे उसे महान मानेंगे l
व्यक्ति ना कपङों से, ना बंगले गाङी से, ना पैसो से महान बनता है l यह बात सभी लोग जानते हैं l मदर टेरेसा. कबीर दास, महात्मा गांधी क्या थे ??? लेकिन किसी एक जाति समाज या एक देश ने नही बल्कि सारे संसार ने उन्हे महान स्वीकार किया l सब कुछ जानते हुए भी हम अनजान बने रहते हैं l और पुरा जीवन झुठी वाह वाही में गंवा देते हैं l जानते हुए भी हम अपने आचरण को नही बदल पाते l यही कारण है महान बनने का बजाय अपमान सहते रहते हैं l और स्थिती ऐसी बन जाती है कि हम अपने बच्चों के सामने भी अपनी महानता नही दर्शा पाते l बाकि के सामने तो बात ही क्या है l
शिक्षा के क्षेत्र में व्यापार में राजनिति में या किसी दुसरे क्षेत्र में व्यक्ति अच्छा नाम कमा लेता है l प्रसिद्धि प्राप्त कर लेता है l लेकिन अपने आचरण के कारण लोगों में और समाज में अपनी महानता साबित नही कर पाते l
अगर भीङ की बात करें तो एक नेता के पिछे या फिल्मी कलाकार के पिछे भी लग जाती है l लेकिन मरने के 5-7 वर्षों के बाद ही सब भुल जाते हैं l पता नही कितने आये और चले गये l लाखों में कोई एक अपने आचरण के बल पर सबके दिलों में अपनी छाप छोङकर चले जाते हैं l भगवान बुद्ध, गुरू गोविंद, भगत सिंह, टालस्टाय, जरथुस्त्र मीरा महात्मा गांधी ऐसा क्या था ??? इन महान आत्माओं में जो इनके ना होने पर लोग और भी ज्यादा इनके दिवाने बन रहे हैं l इनकी महानता का लोहा मान रहे हैं l
इन महा पुरूषों के जीवन दर्शन से ज्ञात होता है l कि इन्होंने भगवान के कथन को अपने जीवन का आधार माना है l उसको अपने आचरण में ढाला है l भगवान कहते हैं सुख दुख लाभ हानि जय पराजय से ऊपर उठकर अर्थात परमार्थ के लिए कर्म करे जो वही परम ब्रहम को प्राप्त कर लेगा l अर्थात समाज में सबके दिलों में अपनी जगह बना लेगा l सब उसको महान और श्रेष्ठ मानेंगे l सभी महापुरूषों ने घर परिवार जाति और सम्प्रदाय से ऊपर उठकर अपनें कर्मों से ऐसा आचरण किया जो मानवता इन्सानियत और परमार्थ के लिए था l
अगर हमें भी महान बनना है तो मार्ग पकङना होगा l किताब शास्त्र प्रवचन हवन आदि करने से हमारा अपना लाभ है l लेकिन ये सब अगर हम मात्र कर्म काण्ड तक ही सिमित रखेगें तो कोई भी हमें महान नही मानेगा श्रेष्ठ नही मानेगा l हम महान बनेंगे अपने आचरण से अपने कर्म से बस l
जय श्री कृष्णा
शिवा तोमर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें