सोमवार, 10 अगस्त 2009
आंसु एक नारी के
जुन का महिना चिलचिलाती धुंप ऐसी की सब कुछ उबल रहा है सुरज तो मानों आग ही उगल रहा हो !
एक महिला ऐसी गरमी में बाहर सुरज की तपती धुंप में मिटटी के चुल्हे पर रोटी पका रही है ! माथे से पसिना टपक टपक कर गालों को भीगोता हुआ सारी गरदन पुरा बदन पसिना पसिना कर रहा है !
एक छोटी सी लङकी भागती हुई आती है !
मम्मी मम्मी मुझे दो रूपये दे दो आईसक्रिम लेनी है !
वह महिला बेचारी कुछ तो धुंप की गरमी से बेहाल थी ! कुछ चुल्हे में जलती आग की तपन से तंग थी ! टालने के लिए कहती है की तेरा बाप आंदर बैठा है ! जा उससे मांग ले ! बस ये कहना था कि वह आदमी उन दोनों मां बेटी पर चीते की तरह टुट पङा ! गाली गलोच करता हुआ बक रहा था, की एक तो साली तुने ये लङकी का पाप मेरे सिर पर गिरा रखा है !
ऊपर से तेरी और तेरी इस कम्बख्त बेटी ने तो हमारा जीना हराम कर दिया है ! आज में तुम्हे दोनो को ही खत्म कर देता हुं ! कम से कम घर में सुख शांति तो रहेगी !
और निर्दयी ने अपनी दरिंदगी की हद ही कर दी उस जल्लाद ने उस मासुम सी बच्ची को हाथ पकङ कर दीवार पर फैंक मारा ! बेचारी वह अबोद्ध बच्ची रोती रही बिलबिलाती रही तङपती रही ! उसके गुस्से की आग यहीं पर ही ठंडी नही हुई ! चुल्हे से तवा उठाकर सरोज (पत्नि) की पीठ पर मारने लगा !
हा हुल्ला और हाहाकार सुनकर बाहर से कई लोगों ने आकर उस राक्षस के चंगुल से उन दो मासुमों की जान बचाई !
दोनों मां बेटी बेचारी अंदर खाट पर पङी हैं ! एक तो गरमी ऊपर से मार का दर्द कराह रही है ! एक लाचार और बेबस मां पसिने से लथपथ अपनी बेटी को कुछ इस तरह अपने सीने में छुपा रही है जैसे किसी किले में लेकर बैठ गयी हो !
रोती रोती कहती है, मेरी अभागी बच्ची तु क्यों आयी यहां इस घर में ??? तेरी इस घर में जरूरत नही है ! इस पापी को तो बस बेटा चाहिए ! और आंसु बहाती हुई बच्ची का मुंह चुमने गलती है !
रोती रोती उसकी बेटी कहती है, मम्मी मम्मी मैंने ऐसा क्या किया है ?? या कोई गलती हो गयी ?? जो पापा हर समय मुझे मारते रहते हैं ! आज तक कभी भी प्यार नही किया......
बेटी तेरी और मेरी दोनों की किष्मत ही खराब है जो इस घर में आये हैं !
उसके बालों को ठीक करती हुई कहती है ! चल बेटी तु पहले खाना खा ले, नही तो फिर तेरा जल्लाद बाप आ जायेगा ! वो चैन से खाना भी नही खाने देगा !
नही मम्मी मेरा मन नही कर रहा कुछ खाने का !
मुझे खाना नही प्यार चाहिए प्यार मम्मी !
क्या करूं ?? बेटी जो कुछ मेरे हाथ में हो वह मांग ले ! में दुंगी चाहे मेरी जान ले ले वो भी दे दुंगी मेरी बच्ची !
उस छोटी सी बच्ची का नाम है राखी !
राखी अपने छोटे छोटे मुलायम हाथों से अपनी मां के आंसु पोछ कर कहती है ! मम्मी आपको इतना दुख मेरे ही कारण मिल रहा है ना ! जो पापा रोज रोज आपको मारते रहते है ! आपको मेरी वजह से ही इतनी मार खनी पङ रही है ना !
मम्मी मैं आपसे आज प्रोमिस करती हुं, की अब कभी भी मैं कुछ नही मांगुगी ! कुछ भी ऐसा नही करूंगी जिससे पापा आपको मारें !
अपनी मासुम सी बच्ची के मुंह से इतनी भावुक बातें सुनकर सरोज का दिल भर आया ! आंखो से आंसु और मुंह से बस आह ही निकल सकी ! रा........खी.......... मेरी बच्ची मैं तुझे कहां छुपाऊं ??? कहां ले जाऊं ??? जो उस राक्षस की नजर तुझ पर ना पङ सके !
और दोनो मां बेटी इसी तरह भुखी प्यासी पता नही कब नींद आ गयी ! दुख में कष्ट में जिल्लत में ना गरमी अपना प्रभाव दिखाती है ना शरदी......
उन दोनों मां बेटी को तो पता ही नही गरमी है या शरदी ! कोन क्या कह रहा है ?? बस निश्चिंत होकर ऐसे सो रही है ! जैसे उन दोनो के अलावा उनका कोई नही है इतने बङे संसार में !
भुखा पेट आंखों में आंसु, क्या उनके लिए इस जहां में एक रोटी भी नही है ! जिसे वो मां बेटी चैन से खाकर पानी पीकर सो जायें !
अचानक राजेश (पति) आ जाता है, और इस तरह चैन से सोता देखकर आग बबुला हो जाता है ! और चिल्लाने लगता है.... सरोज….. सरोज के घोङे बेच कर सोई है क्या ! जो उठने का नाम ही नही ले रही ! साली हरामजादी अपना तो पेट भरकर सो गयी ! दुसरा कोई अपनी ऐसी तैसी कराता रहे ! भुखा मरता रहे ! तुझे तो बस अपनी और अपनी छोरी की ही चिंता है !
और बाल खिंचकर घसिटता है !
सरोज बेचारी चिल्लाती रही रोती रही !
लेकिन राजेश को तो शायद कुछ सुनाई ही नही देता ! और थप्पङ मारने लगा !
बेचारी राखी सहमी सी घर के एक कोने में घुस गयी !
राजेश गुस्से में कहता है, की आज तु अपने दिल की बता ही दे आखिर तु चाहती क्या है ????
मैं अब तुझे एक मिनट भी अपने घर में नही रहने दुंगा !
बेचारी अबला बेसाहरा जो अपने मां बाप को छोङकर पति के साथ आयी ! जब पति ही घर से निकालने की कहे तो कहां जायेगी !
सरोज बेचारी रोती हुई हाथों के बीच में साङी का पल्लु और आंसु टपक रहे हैं ! आंखों में दया की भीख ! हाथ जोङकर कहती है, की अगर आप मुझे निकाल देंगे तो मैं कहां जाऊंगी ???
राजेश और गुस्से में आग बबुला हो जाता है ! साली हरामजादी कुतिया मुझे क्या मतलब ??? है कि तु कहां जायेगी ??? मैंने तेरा ठेका ले रखा है क्या ???
राखी रोती हुई सुबकती हुई हाथ जोङकर आती है-पापा पापा आप मम्मी को नही मारो !
राजेश तो यह सुनते ही मानों उसके अंदर बम फट गया हो !
और कहता है... अच्छा तो तेरी इस चंडाली मां को ना मारूं ! इसकी पुजा करूं साथ में तेरे ऊपर भी फुल चढाऊं ! और उसके छोटे से मासुम कोमल से मुंह को इतनी जोर से दबाता है की राखी की चीख निकल जाती है ! पापा छोङ दो...... बहुत दर्द हो रहा है ! बेचारी मासुम कन्या तङपती रही चिल्लाती रही ! लेकिन राजेश के ऊपर कोई असर नही और जोर से धक्का दिया ! तो बेचारी राखी दुध के पतिले के ऊपर जाकर पङी !
सारे घर में दुध ही दुध !
सरोज भी कितना सहती कितना झेलती आखिर सबर का बांध टुट गया !
और दुध को देखकर गुस्से में बोली की आप मुझ पर अपना गुस्सा उतार लो !
राखी को भी मारते रहते हो ! लेकिन अब तो घर का नुकसान भी करने लगे हो !
उसकी बात ने राजेश के गुस्से में आप में घी का काम किया ! और उसे घुरकर खा जाने वाले अंदाज में बोला ! मेरा घर मेरा सारा सामान मैं इसको रखुं खिडाऊं या आग लगाऊं तु कोन होती है ! मुझे कुछ कहने वाली !
बहार से राजेश के मां बाप आते है...
पिता... राजेश तुमने इस घर को जंग का मैदान बना दिया है ! जब भी देखे यहां लङाई ही होती रहती है क्या मामला है ??
दुध को देखकर राजेश की मां की आंख फटी रह जाती है .. ये क्या सारे घर में दुध ही दुध गिरा रखा है ! लोगों को पीने के लिए नही मिलता यहां गिरा पङा है !
नाश खेतों तरस जाओगे लेकिन कभी दर्शन भी नही होंगे ऐसे तो ! पता नही किसकी किष्मत से भगवान दे रहा है !
राजेश राखी की तरफ चीते की तरह झपटता है... मां ये दुध इसने खिंडाया है ! पता नही कोनसा मैंने पाप किया था ! जब से पैदा हुई है घर का नाश ही हो रहा है ! चल पोचा उठा और साफ कर !
सरोज कहती है.. इतनी छोटी सी बच्ची क्या साफ कर सकती है दया करो थोङी !
बीच में ही मां बोल पङती है.. लङकी है अभी से काम करना सिखेगी तो ही अच्छा रहेगा ! नही तो तेरी तरह सिर पर बैठ जायेगी !
सब चुप देख रहे हैं ! बेचारी राखी नन्हे नन्हे से हाथो में पोचा लेकर सफाई कर रही है और रो रही है !
कितने निर्दयी हैं ये लोग ! जो हाथ ठीक से रोटी का टुकङा भी नही ऊठ सकते ! उसे इतनी यातनाएं दे रहे हैं ! कहां भला होगा इनका !
राजेश का पिता ही चुप्पी को तोङता है ! राजेश और सरोज हम तुम दोनों को आखिरी बार समझा रहे हैं ! अगर तुम लोग आपस में झगङा करने से बाज नही आते तो हमें ही यहां से भागना पङेगा !
और कहकर चले जाते हैं !
बेचारी सरोज और राखी को इसी तरह यातनाएं मिलती रही ! दुख देते रहे
अवहेलना प्रताङना जिल्लत सहते हुए कई वर्ष बीत गये ! इसी बीच राजेश को एक और बुरी आदत लग गयी शाराब पीने लगा ! पहले से ही वह इतना दरिंदा था राक्षस भी उसकी दरिंदगी सामने तौबा कर ले ! और अब तो शाराब पीकर बस उन दोनों के खुन का प्यासा बना रहता था ! रात को शाराब पीकर घर पर आना और फिर दोनों मां बेटी पर जुल्म करना उसकी आदत बन चुकी थी !
एक दिन रात के करीब 11 बजे शाराब में धुत लङखङाता चिल्लाता हुआ आता है !
साली कुतिया हर समय दरवाजे को बंद रखती है मेरा ही घर और मेरे लिए ही घर के दरवाजे बंद ! खोल साली दरवाजा खोल आज तेरी अच्छी खबर लेता हुं !
राखी दरवाजा खोलती है !
दरवाजा खुलते ही वह धङाम से पङता है !
पापा पापा आप ठीक तो हो राखी बैचेनी से पुछती है !
अच्छा हरामजादी बङा प्यार सा दिखा रही है ! पता नही कहां से लायी इस पाप को जो मेरी छाती पर पङा है ! और कहकर दो थप्पङ मारता है !
सरोज अंदर से भागती हुई आती है ! क्या हुआ राखी बेटी ?? ठीक तो है !
हां आजा तेरी कमी रह गयी थी तु भी आ गयी ठीक हुआ ! और उसके बाल पकङकर घसीटता है !
मुंह से शाराब की बदबु इतनी आ रही है की सारा घर ......
और कपङों में से भी बदबु आ रही है ! वह लङखङाता हुआ सरोज की तरफ लपकता है !
लेकिन वह आगे से हट जाती है ! और कहती है आप नहा कर खाना खाओ और सो जाओ ! शाराब बहुत चढ गयी है !
अच्छा हरामजादी कुतिया मुझे शाराब चढ गयी है ! मैं तो शाराबी हुं ! मुझमें तो 100 ऐब है ! बस तु और तेरी यह बेटी ही ठीक हो !
सरोज बङी दीनता से लङाई को दबाने के लिए हाथ जोङकर कहती है ! नही आप ही ठीक हो अच्छे हो ! हम दोनो तो गलत हैं ! चलो आपका पानी रख दिया ! आप पहले नहा लो
नहा धोकर खाना खाता है !
राखी पापा बता देना कितनी रोटी लोगे !उतनी ही बनायेगी मम्मी ! नही तो फिर बच जायेगी सुबह खानी पङेगी !
इतना सुनते ही राजेश तो आग बबुला हो गया ! और दाल की कटोरी उठाकर राखी के मुंह पर फैंक मारी ! हरामजादी रांड की औलाद तु और तेरी मां ही खाओ !
मुझे नही खानी लङखङाता हुआ राखी को लपकने के लिए पीछे भागा ! लेकिन वह अपने को उसकी पकङ से बचाती हुई बहार भाग गयी है !
रोज आये दिन इसी तरह घर में झगङा होता गया ! हालात ऐसे हो गये की एक पल के लिए भी उनके घर में चैन शांति नाम की चिज नही रही ! बस आपस में झगङा कलह क्लेश रोना पिटना आंसु दो बेबस महिलाओं के ! और शाराब की बदबु बससससससस
उनके यहां कोई आना भी पसंद नही करता !
राजेश बहुत गिर चुका था ! उसकी मां भी उसी का पक्ष लेती सरोज और राखी पर सारे इल्जाम लगाती थी !
सरोज इसी तरह रोती रही सहती रही झेलती रही ! और पता नही किस तरह से अपनी और राखी की आबरू बचाती ! एक दिन दोनों मां बेटी बात करती है !
राखी... मम्मी ऐसा कब तक चलेगा ??
क्या सारी जिंदगी हम दोनों इसी तरह मार खाती रहेंगी !
और कितना सहेंगे अब नही सहा जाता ! बस इससे अच्छा तो भगवान हमें उठा ही ले तो बढीया रहे !
सरोज.. राखी का हाथ अपने हाथों में लेकर प्यार से कहती है ! बेटी बस भगवान एक बार सही सलामत तेरे हाथ पीले करवा दे ! तु अपने पति के साथ आराम से रहना और कभी इधर आना भी नही ! और आंखे डबडबा आई !
राखी अपनी मां के आंसु पोछकर कहती है ! मां मैं कभी आपको अकेला छोङकर नही जाऊंगी ! आपने मेरी वजह से बहुत कष्ट उठाये हैं !
सरोज राखी को बाहों में भर लेती है ! बेटी तु ही तो मेरी जिंदगी है ! तेरे लिए ही तो मेरी सांसे चल रही हैं !अगर तु नही होती तो मैं कभी की मोत को गले लगा लेती !
और इस राक्षस इसके नरक जैसे घर को कभी की अलविदा कहकर भगवान के पास चली जाती !
राखी बङे भोलेपन और सादगी से पुछती है ! की मम्मी क्या लङकी इस धरती पर सिर्फ इसलिए आती है की !
सारी जिंदगी यातनाए सहे !
जिलल्त उठाये !
कष्ट भोगे !
इतनी अवहेलना, यातना, प्रताङना !
इतने ताने क्या ये सब हमारी ही किष्मत में ही लिखा है !
बेटी राखी........ सरोज की आवाज में सारे जहां का दुख सा समाया हुआ था ! और आवाज ऐसे निकल रही थी जैसे जबरदस्ती निकल रही हो !
कुछ वर्षों पहले तक लङकी को देवी की तरह पुजते थे लोग ! अभी पता नही क्या आग लग गयी है ! जो लङकीयों को पाप समझने लगे !
इसी बीच कोई बाहर से दरवाजा खटखटाता है !
मम्मी इस समय कोन होगा ??? पापा तो अभी आ नही सकते !
सरोज दरवाजा खोलती है ! तो राजेश ही गिरता पङता अंदर आता है !
आप आज इतनी जल्दी कैसे आ गये ?? सरोज ने अचम्भीत सी होकर पुछा !
क्यों... मु..,,झे ज...ल्दी न.. ही... आ...ना चा..हि...ए क्या... लङखङाती आवाज में कहने लगा मुझे... अ..ब.. तु..झ..से पु..छ..क..र आ..ना प..ङे..गा.. क्या...
ला मुझे 50 रूपये दो कुछ काम है !
मेरे पास तो एक भी पैसा नही है कहां से दुं !
यह सुनते ही उसका तो पारा हाई हो गया आग बबुला हो गया !
तु साली जोङकर कहां ले जायेगी ! जब तु अपने पति को नही दे सकती तो काहे की मेरी पत्नि है !
गाली गलोच करता हुआ इधर उधर सिर मारने लगा !
साली पता नही इतने पैसे जोङकर क्या करेगी ?? जब वो मेरे काम नही आयेंगे तो क्या तुने अपने कफन के लिए इकठठा करके रखे हैं !
मैं आखिरी बार कह रहा हुं, की पैसे दे दे वरना आज तुझे मार डालुंगा !
वह गालीयां बकता रहा ! आज चाहे कोई भी आ जाये मैं किसी को नही छोङुंगा !
सबको मार दुंगा ! और सरोज को मारने के लिए भागा !
राखी बीच में ही बोल पङी पापा झगङा मत करो ! मैं आपके हाथ जोङती हुं !
हरामजादी तु भी अपनी मां रांड का ही फेवर करती है ! आज तुम दोनो को ही खत्म कर दुंगा ! वह लङखङाता हुआ उन्हे पकङने के लिए भागता रहा !
सरोज चीखी राखी जा तु इसके मां को ही बुलाकर ला ! आज हम फैंसला कर ही देते है की आखिर ये लोग चाहते क्या हैं ????
यह सुनकर उसके गुस्सा और भी ज्यादा चढ गया ! वह बङबङाया जाओ तुम आज किसी को भी बुला लाओ मैं तुम्हे नही छोङुंगा !
और सरोज को मारने के लिए एक शाराब की खाली बोतल फोङकर उसके पिछे लपका !
इतनी ही देर में राजेश के मां बाप भी आ गये ! उन्होने उसे ऐसी हालात में देखा तो होश उङ गये ! किसी को कुछ समझ ही नही आ रहा था की क्या करें ?? क्या ना करें ??
राजेश का बाप बोला... राजेश बेटा बोतल फैंक दे ! जो तु कहेगा वैसे ही होगा !
नही पिताजी में आज इसको छोङने वाला नही हुं ! सारे घर को इसने नरक बना
दिया है ! सरोज भागती भागती चिल्लाई... नरक हमने नही तेरे करतुत ने और शाराब ने बनाया है ! मैं कहां से इसे पैसे दुं ! भीख मांगकर लाऊं क्या ?? देने का तो नाम नही !
राजेश ने सरोज को पकङने लिए जैसे ही घर में पङी खाट के ऊपर से छलांग लगाई तो
फिसलकर गिर गया ! और हाथ में पकङी बोतल उसी की छाती में धंस गयी !
किसी को कुछ नही पता लगा की क्या हुआ ?? इस बात का तो यकिन था ही नही राजेश ऐसा पङा है जो अब कभी भी उठने वाला नही है !
सरोज हांफती हुई दीवार से सटकर आंखे बंद करके लम्बे लम्बे सांस लेने लगी !
राखी भागती आयी मम्मी मम्मी ठीक तो हो ना !
हां बेटी बस मौत के मुंह से ही निकलकर आयी हुं !
राखी ने सरोज का सिर अपने कंधे पर रख लिया मम्मी पानी लाऊं !
राजेश की मां चिल्लाई .... अरी निर्भाग्य राखी अपनी मां की ही गोद में बैठी रहेगी ! अपने बाप को भी देख ले जब से गिरा है उठा ही नही है ! क्या हो गया ???
राजेश का बाप गुस्से में झल्लाकर बोला उसे कुत्ते कमिने को कुछ नही होगा ! जब शाराब उतर जायेगी तो उठ जायेगा !
सरोज के मुंह से कराह निकली राखी अपने पापा को देख बेटी वो बहुत जोर से गिरे हैं !
राखी उसके पास गयी पापा पापा पापा कई आवाज लगाई ! लेकिन कोई जबाब नही !
जब कई बार आवाज लगाने से भी नही बोला तो राखी ने हाथ पकङकर उठाने की कोशिश की खिंचते ही राजेश का शरीर एक तरफ लुङक गया !
छाती में बोतल धंसी उसके निचे खुन ही खुन !
राखी के मुंह से तेज चीख निकली .... मम्मी ...........................
सारे लोग राखी के पास गये ! तो देखते ही सबके होश उङ गये ! राजेश तो कभी का मर चुका था ! उसकी मां जोर जोर से राने लगी !
मेरे लाल को दोनों मां बेटी खा गयी हैं ! और विलाप करने लगी !
सरोज को पता नही क्या हुआ ?? ना रोई ना कुछ बोल रही ना कुछ कह रही है ! बस दुर कहीं शुन्य में खोई रही !
शाम का समय गांव के बाहर राजेश का अंतिम संस्कार हो रहा है ! चीता में आग लगा दी गयी ! और वहीं थोङी दुरी पर सरोज एक टक राजेश की चिता को देख रही है ! और ना किसी की तरफ देख रही है ना कुछ कह रही है ! बस रोये जा रही है ! और आंसु तो मानों थमने का नाम ही नही दे रहे !
राखी मम्मी आप अपने आप को सम्भालो ! अगर आप ही ऐसी रहोगी तो मेरा तो अब कोई है ही नही ! और गले लगकर जोर जोर से रोने लगी !
सरोज बेहद गम्भीरता से बोली राखी बेटी हम औरतो के पास आंसु बहाने के अलावा और कुछ नही है ! और फिर कहीं आकाश में शुन्य में खोकर आंसु बहाती रही !
जैसे जैसे चिता की आग ठंडी हो रही थी ! आंसु और ज्यादा बह रहे थे !
शिवा तोमर- 09210650915
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