बुधवार, 19 अगस्त 2009
धरती मां के बहते आंसु
आप सब सोच रहे होगे की धरती मां कैसे आंसु बहा रही होंगी और क्यों बह रहे हैं आंसु....
शास्त्रों में वर्णन आता है की एक बार धरती पर अपराध बढ गया ! हर तरफ हिंसा ही हिंसा, अत्याचार, अन्याय, क्रुरता इतनी बढ गयी की आम आदमी का जीवन दुभर हो गया ! आतंकी और अपराधियों का अधिपत्य हो गया ! साधु सन्यासी, सीधे, साधे, गरीब लोग और महिलाओं को अपनी इज्जत आबरू बचाना मुश्किल हो गया ! चारो ओर धरती खुन से लाल हो रही थी !
तो धरती मां हाथ जोङकर भगवान के सामने रोती हुई गयी !
उनको देखते ही भगवान ने पुछा की क्या हुआ धरती मां ?? आपके अंदर तो ममता, प्रेम, करूणा, और क्षमा ही रहती है आज ये आंसु कैसे ??
तो धरती मां ने कहा की प्रभु अब और नही सहा जाता मुझसे यह भार ! मैं जल रही हुं ! मुझे इनके चंगुल से मुक्त करो !
तो प्रभु ने समय समय पर हर युग में धरती मां के आंसु देखकर अत्याचार, अन्याय, और अपराध से मुक्त करके धरती के भार को हल्का किया था !
तो आज भी वही समय है ! जब धरती मां आंसु बहा रही है, रो रही है, गिङगिङा रही है ! नही सह पा रही इतना अत्याचार का भार !
किसी भी तरफ नजर घुमाकर देख लो ! धरती का कोई भी कोना ऐसा बचा हुआ नही है ! जहां पर किसी कन्या की चीख सुनाई नही पङती हो ! कोई दुखी कराह ना रहा हो !
धरती मां एक नारी स्वरूपा है ! करूणा, दया, और ममता की देवी इतनी भोली है की कुछ किसी का विरोध नही कर सकती बस सह सकती है !
आप किसी भी दिन कोई भी अखबार उठाकर पढ लो ! कहीं होगा की एक नव विवाहित ने जुल्म के आगे घुटने टेके और नही कर पायी सहन तो मोत को गले लगा लिया ! तो कहीं किसी ने अपनी एक दिन की बच्ची को कुङे के ढेर में फैंककर मां की ममता को कलंकित कर दिया तो ! कहीं कई हवस के भेङियों ने एक नाबालीग की मासुमियत को रोंद डाला अपनी दरिंदगी से !
ऐसे में क्या करें धरती मां ?? नही सहन कर पा रही है ! और आंसु बहा रही है !
एक दिन अभी दिल्ली की घटना है ! एक औरत को एक कार ने टक्कर मार दी तो ड्राईवर ने गाङी रोकी नही बल्कि और तेज चला दी ! वह महिला करीब 50 मीटर तक घिसटती रही ! इन्सानियत की धज्जियां यहीं पर ही खत्म नही हुई ! जख्मी हालात में वह सङक पर पङी पङी चिल्लाती रही ! लोग अपनी तेज रफ्तार को रोकने के बजाय उसको कुचलते चले गये ! तो क्या बीत रही होगी धरती मां के सिने पर !
एक पिता भी अपनी बच्ची को हवस में रोंद रहा है ! हर तरफ अधर्म इतना बढ गया है कि लोग धनोपार्जन के लिए कितना भी गिरा हुआ काम कर देते हैं ! यहां तक की अपनो के साथ भी विस्वासघात करने से बाज नही आते ! एक गरीब जो एक एक रूपया जोङकर इकठठा करता है उसको भी विस्वास में लेकर छुरा भोंक देता हैं !
आज से 5600 वर्ष पहले भी ऐसा ही हुआ था ! इससे भी खतरनाक समय आ गया था ! धरती मां चीत्कार रही थी !
एक नारी को भरी सभा में नग्न करने का प्रयास, उस बेबस नारी ने इतने आंसु बहाये लेकिन किसी के ऊपर जुं तक ना रेंगी !
धन के लोभ में अपने ही भाईयों को मारने का भरकस प्रयास ! शाराब और जुआ
हर तरफ अपराध, हिंसा, और क्रुरता तो महायोगेश्वर भगवान श्री कृष्ण के सामने आंसु बहाये धरती मां ने गिङगिङायी तो ! सबको ही पता है किस तरह से धरती को अपराधमुक्त किया था भगवान ने !
और एक संदेश भी दिया था ! कि जब जब धरती मां पर ऐसा संकट आयेगा ! जब भी धरती मां अपराध और अन्याय के चगुल में फंस जायेगी ! तो उससे मुक्त करने का एक सुत्र बताया था !
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम
अर्थात जब किसी भी युग में धरती मां के आंसु बहेंगे ! तो धर्म की स्थापना यानि की बढते अपराध और अन्याय के वर्चस्व को समाप्त करने लिए तदात्मानं सर्जाम्यहम अर्थात किसी भी आत्मा को ऐसी प्रकाशित कर दुंगा की उसके प्रकाश से सारा संसार प्रकाशित हो उठेगा !
आपने सुना होगा सतयुग में एक राक्षस हुआ करता था हिरणाकष्यपु प्रह्लाद का पिता ! उसने पहले तप किया और बाद में स्वयं को ही भगवान कहलवाना शुरू कर दिया ! और जिसने नही स्वीकार किया उसको दंड देता या मरवा देता था !
उस राक्षस का आतंक समाप्त करने के लिए प्रह्लाद की आत्मा को ऐसा प्रकाशित किया की सब लोग नारायण नारायण जपने लगे ! हां सब लोग छिपकर ही जपते थे ! सब डरते थे कहीं राजा साहब को मालुम हो गया तो कोल्हु में पिलवा देगा !
और सब दिल ही दिल में भगवान से प्रार्थना करते की हे प्रभु हमें इसके चंगुल से मुक्त कराओ इसके कहर से आजाद करो !
और आज चारो तरफ नजर ले जाओ ! कितने लोग ऐसे हैं जो खुद की पुजा करा रहे हैं आरती करा रहे है ! अपने सिंहासन इतने ऊंचा लगवा देते हैं कि इंद्र के सिंहासन से भी भव्य लगे ! और भगवान को बिलकुल गौण कर देते हैं ! और उनके भक्त भी यही कहते हैं सबसे की गुरू ने सब कुछ दे दिया तो ! देखो आज कितने हिरणाकष्यपु हो गये हैं ! जो खुद को भगवान साबित करने में लगें हैं ! तो क्या करेंगी धरती मां आंसु नही बहायेगी तो क्या करेगी !
लेकिन हमने किसी ने भी उस उपदेश पर ध्यान नही दिया ! और बस यही सोच रहे है कि इस आतंक, हिंसा, अलगाव, असुरक्षा, भय, अराजकता, और अनैतिकता से मुक्ति दिलाने के लिए कोई अवतार लेकर प्रभु आयेगें !
अरे भाईयों प्रभु ने जो संदेश दिया था, तदात्मानं सर्जाम्यहम ! उसको स्मरण करो ! और स्वयं को इस अभियान में लगा दो ! जो प्रभु के अवतार लेने का मकसद होता है ! अपराधमुक्त समाज निर्माण और मानवाधिकार रक्षा !
आज हर तरफ अज्ञान के कारण हमारी तामसी बुद्धि अधर्म को भी धर्म मानकर मानवाधिकार के बजाय दानवाधिकारों की रक्षा कर रहे हैं !
अगर हमें प्रभु के उपदेशों पर चलना है ! और धरती मां के आसुंओं को रोकना है ! तो धरती पर होते जुल्म को रोकने का प्रयत्न करो ! बढते अन्याय, अत्याचार, हिंसा अनैतिकता और अश्लीलता को रोकने में साहयक हो जाओ !
जब भी कभी इतिहास में इस बात का वर्णन हो तो धरती मां के आंसु बहाने में हमारा नाम नही आना चाहिए ! उन्हें रोकने में हमारी गणना होनी चाहिए !
जय श्री कृष्णा
शिवा तोमर- 09210650915
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