शनिवार, 5 जून 2010

क्या करें गरीब

देश में रोज आये दिन मंहगाई को लेकर बङे बङे धरने और प्रदर्शन हो रहे है। जिसे देखो वही गरीबो का मसीहा का बना फिरता है। संसद में भी बङे जोर शोर से बहस होती है कि मंहगाई से एक आम आदमी कितना त्रस्त हो रहा है कितनी बुरी तरह से पिस रहा है। और कई पार्टी तो एक रूपये किलो तो कोई दो रूपये किलो चावल आदि देने का वायदा करती है। कितने फिक्रमंद हैं कितने संवेदनशिल हैं गरीब और गरीबों के प्रति.... कितनी दया भरी है उनके अंदर शायद इतनी चिंता तो राम राज्य में भी नही होती थी। कैसी विडंम्बना है कि फिर भी गरीबों को कोई राहत नही.... राहत के बजाय आहत ही होते जा रहे हैं बेचारे कुछ सोच भी नही पा रहे की क्या करे। आटा खरीदें या दाल दुध ले या बिजली के बिल के लिए पैसा बचाये। कई लोगों ने जब घर का काम नही चल रहा तो अपने मासुम बच्चों को स्कुल से हटाकर कहीं काम पर लगा दिया यानि की बाल मजदुरी कराने पर मजबुर हो गये हैं। एक तरफ तो सरकार बाल मजदुरी पर रोक लगा रहे हैं तो दुसरी तरफ हालात ऐसे बना रहे है जिससे बच्चों को काम पर लगाना लोगो की मजबुरी बन रही है। आप सब बताओं की क्या कोई है गरीबों का जो उनकी समस्याओं को सुन सके। ज्यादा से ज्यादा अपनी राय दो हो सके की किसी की राय देश को बदलने में ही काम हो जाये।

1 टिप्पणी:

  1. priy shiv ji
    आपकी पोस्ट को देखर नहीं भाई आपके कृष्ण प्रेम पर नतमस्तक हूँ . विरले ही मिले कृष्ण के सच्चे चाहने वाले तो , और तो रासलीला के बहाने कृष्ण का फायदा उठाने वाले मिला . कृष्ण जी का धन्यवाद जो आप जैसे परम भागवत से मुलाकात हुई .

    --
    !! श्री हरि : !!
    बापूजी की कृपा आप पर सदा बनी रहे

    Email:virender.zte@gmail.com
    Blog:saralkumar.blogspot.com

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