बुधवार, 29 अप्रैल 2009

अपराध मुक्त राजनीति

अपराध मुक्त राजनीति
राजनीति और अपराध मुक्त बङा आश्चर्य सा हो रहा है ना सुनकर बङा असमंजस सा हो रहा होगा आपको नही सभी को ही अजीब सा लगेगा क्योंकि अपराध और राजनीति का तो चोली दामन का साथ है एक के बिना दुसरा अधुरा है अकेली राजनीति चल नही सकती बिना राजनीति के अपराध फल फूल नही सकता यूं कहो तो और भी अच्छा होगा राजनीति में अपराध आग में घी का काम करता है
हम बात कर रहे हैं अपराध मुक्त राजनीति की ..........................................
राजनीति गांव शहर समाज और राष्ट्र में होने वाले कार्य कलापों गति विधियों आचरण संस्कार का आईना है
मैं कोई ज्ञानी विद्वान नही हुं बस एक सिधा साघा सा नागरीक हुं जिंदगी में कष्ट और दुखों के झटको को सह सह कर बङा अनुभव किया है और हर पहलु पर गहराई से अध्ययन किया है तो हमारे समाज का सबसे संवेदनशिल अंग है राजनीति
राजनीति में लोगो को देखकर समाज के हर वर्ग के लोगो पर बहुत गहरा प्रभाव पङता है
नेताओं को हम लोग श्रेष्ठ और देश के संचालक कर्ता धर्ता मानते हैं लोग नेताओं के फोटो भी अपने घरों में लगाकर रखते हैं अगर हमारे सम्मानीत व्यक्ति ही अपराध में लिप्त या अपराध से ग्रसित हो तो क्या होगा जनता का ????????
जिस समाज का संचालन करने वाले व्यक्ति अपराध मुक्त नही होगें भ्रष्टाचार मुक्त नही होगें तो देश में न्याय व्यवस्था कार्य व्यवस्था शांति सुरक्षा कैसे स्थापित होगी
भगवान श्री कृष्ण ने भगदगीता में भी कहा है कि श्रेष्ठ पुरूष जैसा जैसा आचरण करते है अन्य भी वैसा ही करते है यह शत प्रतिशत सत्य है इस बात को हम और अच्छी तरह से एक उदाहरण के माध्यम से समझे की एक घर में 5 सदस्य हैं और घर का मुखिया शराब पीता है यह एक घर की घटना है यही क्रम है परिवार से समाज बनता है तो देखा होगा 80 प्रतिशत बच्चे बीङी तम्बाकु गुटके शाराब का सेवन करते है और घरों में हिंसा ऐसी होती है का रोज खाना नही गालीयां खानी पङती हैं l
जैसै देखा गया है की कितने बङे स्तर पर देश में घोटाले हो रहे हैं सी बी आई और मीडीया कितने लोगो की पोल खोलती है अरबों रूपये के घोटाले हो रहे हैं बङे बङे नेताओं के नाम आते है पता नही बाद में क्या होता है ???????
हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि हर व्यक्ति अपनी जो भी नोकरी करता है चाहे तनख्वाह ज्यादा हो या कम हो ऊपर की कमाई जरूर करने की सोचता है l
अब से राजनीति में अपराध और अपराधीयों का प्रवेश हुआ है हमारी न्याय पालिका, शिक्षा का क्षेत्र हो या व्यापार सिपाही हो या अधिकारी हर विभाग में अपराध अपना शिकंजा कसता जा रहा है जो इसका परिणाम है वह हमारे सब के सामने है किस तरह हमारा युवा वर्ग अपराध भ्रष्टाचार अश्लीलता व्यभिचार की दलदल में फंस रहे हैं
क्यों कहा है भगवान ने की शाशन करने वाले में यमराज हुं में ????????
हमारा शाशक हमारे नेता श्रेष्ठ संचालन कर्ता का आचरण यमराज जैसा कठोर होना चाहिए भ्रष्टता लालच स्वार्थ पुर्ण नही बल्कि न्याय, सेवा और समर्पण होना चाहिए
देश और समाज में बढता अपराध हिंसा स्वार्थ बङी चिंता का विषय है
वर्तमान राजनिति में तो अपराध का ही बोलबाला है ज्यादातर नेताओं पर अपराधिक मुकदमें चल रहे हैं अभी कुछ माह पहले अंडर वर्ल्ड डोन अबु सलेम कस्टडी पैरोल पर अपने घर आजमगढ गया वहां के युवा वर्ग ने उसके जिंदाबाद के नारे लगाये और जायजा ले तो आज आजमगढ अपराध और आतंक का विस्व विधालय बन रहा है अब अबु सलेम भी राजनिति में आने का मन बना रहा है अतीक अहमद,, साहबुदीन,, मुखत्यार अंसारी,, पप्पु यादव,, और भी ना जाने कितने अपराध प्रवृत्ति के लोग ने राजनिति में अपना झंडा गाङ दिया है तो क्या होगा समाज का ??????????
ये तो बात हम सबको पता है लेकिन इसका समाधान क्या है कैसे हो अपराध मुक्त राजनिति कैसे निकले इसके शिकंजे से ??????????
कोनसा सुत्र है वह जिससे समाज और हर व्यक्ति अपराध मुक्त हो ???????
राजनिति को इसलिए कह रहे हैं की नेताओं का लोग अनुशरण करते हैं कोइ नेता आरक्षण मांगने के लिए खङा हुआ तो हजारों लोग बिना परिणाम की चिंता किये उसके पिछे चल पङे आग लगाई सरकार का नुकसान किया लाठीयां खाई गोलीयां खाई लेकिन अपने नेता के पिछे जरूर चले
कोई सम्प्रदाय के नाम पर चला तो कोई तो कोई जाति के नाम पर उसके चाहने वाले उसके पिछे पिछे चल पङे ये भी आवश्यक नही है की सिर्फ हिंसा को ही भङकाने के लिए चलते हैं बापु गांधी अहिंसा की लाठी लेकर चले तो लाखो लोग पिछे चल पङे
आज लोग अपने पिछे भीङ को एकत्रीत तो कर लेते हैं लेकिन कहीं ना कहीं अपराध, हिंसा में लिप्त रहते हैं
ओर भ्रष्टचार से मुक्त नही हो पाते और परिणाम यह होता हैं कि उनके समर्थक भी उनके चाहने वाले भी अपराध के शिकंजे में फंसते चले जाते हैं
आप यह सोच रहे होगे की कैसा पागल आदमी है इस बात का हम सबको मालुम है की राजनिति ही नही समाज का हर वर्ग अपराध और भ्रष्टाचार से ग्रसित है कोई रास्ता क्यों नही बता रहा की किस प्रकार से होगी राजनिति और समाज अपराध मुक्त
और हर व्यक्ति चाहता भी है की कोई गलत कार्य ना करे फिर भी क्या कारण है जो ना चाहता हुआ भी अपराध की दलदल में फंसता जा रहा है
तो यही सवाल भगवान श्री कृष्ण से पुछा था की किससे प्रेरित होकर व्यक्ति अपराध करता हैं यह प्रश्न किसी एक का नही हर कोई चाहता है इसका जबाब
तो भगवान ने दो टुक भाषा में साफ कहा था कि किसी विषय के बार बार चिंतन करने से उस विषय के प्रति आसक्ति बढ जाती है और उसकी प्राप्ति ना होने पर क्रोध आता है क्रोध आने से व्यक्ति अपनी स्थिती से गिर जाता है और परिणाम यह होता है की कुछ भी अपराध कर बैठता है
यह भगवान का संदेश किसी एक के लिए नही है वो तो अंतर्यामी है सब कुछ जानते है की क्या होने वाला है इसी लिए यह बात बतायी थी क्योंकि आज के भागम भाग जमाने मे एक दुसरे से आगे निकलने की होङ सी लगी है
यही कारण है की इतनी तुच्छ और संकिर्ण मानसिकता हो गयी है की हर कोई अपने घर परिवार तक ही सिमट कर रह गये हैं इतिहास गवाह है कि जो भी व्यक्ति अपने घर परिवार से ऊपर ऊठकर समाज में चला है वही अपराध मुक्त हुआ है
लेकिन में किसी एक की बात नही कर रहा आज तो हर आदमी ही यह चाहता है की मेरे बच्चे सबसे ऊपर जायें सबसे ज्यादा पैसा कमाये गाङी बंगला सब ऐसो आराम हो चाहे रास्ता कोई भी अपनाना पङे
आज एक नेता चुनाव में करोङो रूपये खर्च कर देता है तो वह क्या जनता की सेवा करेगा अपनी और अपने घर परिवार की सेवा करने के लिए राजनिति में आ रहे हैं
भगवान ने कहा है की हे मानव तु हर समय मेरा चिंतन भी कर अपना कर्म भी कर इससे तु सदा अपराध मुक्त रहेगा तु मुझमें ही निवास करेगा
आज राजनिति ही नही पुरे विस्व के हर वर्ग को भगवदगीता के मार्गदर्शन की जरूरत है इससे ही अपराध मुक्त हो सकते

शिवा तोमर

रविवार, 19 अप्रैल 2009

चाहत

दिल की गहराई से चाहा है तुम्हे
जब भी तन्हा हुआ हुं साथ पाया है तुम्हे
अकेला बैठता हुं खाता हुं कहीं भी रहुं
कैसी अजीब चाहत है हर पल यादों में पाया है तुम्हे
जीवन में आये दुख बहुत कष्टों ने भी घेरा.
कभी जीने की चाहत हुई कभी मरने की तम्मना
कहीं नही मिला रास्ता चारो और था अन्धेरा
दुखी हुआ उदास हुआ कहीं नहीं मिला किनारा
बंद किये नयन सामने पाया तुम्हे