शनिवार, 4 जुलाई 2009

परिवर्तन



रैगिंग से तबाही
परिवर्तन
यह कहानी कुछ काल्पनिक और सत्य घटनाओं पर आधारित हैं इस कहानी के जरिये हम दिखाना चाहते हैं कि हमारा युवा वर्ग किस तरह दिन पर दिन नशे और सैक्स के चंगुल में आकर कोई भी जघन्य अपराध कर देते हैं ना कोई डर है ना परिणाम की चिंता, हमारा मकसद आपको डराने या समाज में दरार बनाने का नही,, यह कहानी दर्शाती है कि समाज का एक बङा वर्ग जिसे हम युवा देश के रक्षक और देश का भविष्य कहते हैं किस प्रकार अपराध की दलदल में फंसते जा रहे हैं हम सिर्फ यही नही दिखायेंगे की अपराध किस तरह पनप रहा हैं l बल्कि यह भी दिखाने का प्रयास करेंगे की कोनसा रास्ता है जिससे हम और हमारा समाज अपराध मुक्त जीवन जिये और अपराध मुक्त समाज यानि की विस्व शांति स्थापना में अपना यथायोग्य सहयोग्य करे....
आज सारे भारत के कालेजों में जो रैगिंग का जहर फैल रहा है उससे हमारे समाज पर कितना गहरा प्रभाव पङ रहा है खास तौर से नये लङके और लङकीयां तो इस तरह भयभीत रहते हैं की कालेज के नाम से डरते हैं यह कहानी रैगिंग को ही दर्शाती है की किस तरह से रैगिंग की वजह से हंसता खेलता परिवार टुटकर बिखर गया और जो युवा देश रक्षा का काम करते वो किस तरह से जेल में सङ रहे हैं
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मेडिकल कालेज का एक दृष्य
कालेज के होस्टल में 5 लङके लक्की, विजय, करण, अमर, और गगन कुछ के हाथों में बियर की बोतल है तो कोई सिगरेट फुंक रहे हैं उनके पहनावे बात करने के तरिके से ही लग रहा है ये ऊंचे परिवार के बिगङे हुए लङके हैं,,
लक्की—यार गगन क्या करे कालेज में कितनी सुन्दर सुन्दर लङकीयां आ रही हैं देखकर
दिल जलता है
गगन—लक्की भाई दिल जलता रहे कर क्या सकते हैं कोई सुनने वाला भी तो नही है
विजय—क्यों नही कर सकते बहुत कुछ कर सकते हैं
लक्की—(बियर की बोतल मुंह से हटाकर) तो क्या करे जल्दी बता अब..
विजय—रैगिग हो रही है रैगिंग भी हो जायेगी और दिल भी ठंडा हो जायेगा
गगन—अरे वाह तुने तो कमाल कर दिया और एक ही घुंटमें सारी बोतल खाली करके
फैंक दी....
लक्की—गटगट करके पुरी बोतल खाली करके बोतल को घुरता हुआ कहता है आज तो
किसी ना किसी की रैगिंग होगी ही बङी जहरीली हंसी हंसता है
अमर—विजय यह ठीक नही है,, पहले से ही हमारी बहुत शिकायते हैं
विजय—अबे पागल गधे राम तो क्या हुआ हर कालेज में रैगिंग तो होती ही ना तो इसमें
हम क्या गलत कर रहे हैं तु बिना बात के घबरा रहा है,,
अमर—रैगिंग के नाम पर अश्लीलता करना गलत काम करना किसी को सताना अच्छा
नही होता
विजय—अबे ओये महात्मा की औलाद लङकी को देखते ही मुंह में पानी आ जाता है अब

ज्यादा भोला मत बन ऐस कर ऐस मोज करो समझ गया अब..
लक्की—(अमर का गिरहवान पकङकर) अबे साले तु हमारे साथ रहता है तो डरता क्यों है
यहां तुझे कोई खा जायेगा क्या..
गगन—चलो दोस्तो मोज करो यार हम क्यों आये हैं कालेज में साधु तो बनेंगे नही
आओ ऐस करो ऐस और चुटकी बजाता है...
लक्की—ओये गगन ला पुङिया दे मुढ खराब हो रहा है
गगन एक छोटी सी पुङिया देता है
लक्की पुङिया खोलकर 500 के नोट को पाईप सा बनाकर नाक से लगाकर पावडर सुंघता
है और एक मीठी आह सी खिंचता हुआ ऐसा अनुभव करता है जैसे सारे जहां का
आनंद मिल गया हो
गगन सिगरेट का धुंआ उङाता हुआ चल देता है
कालेज में दो लङकीयां प्रियंका और शिवानी दोनो का कालेज का पहला दिन
शिवानी—यार प्रियंका मुझे तो बहुत डर लग रहा है
प्रियंका—क्यों इतना डरती हो इस तरह तो यहां हमे सब डराते रहेंगे,,
शिवानी—तुझे नही पता कालेज में रैगिंग के नाम पर क्या क्या कर डालते हैं
प्रियंका—यार शिवानी तु तो बिना बात के डर रही है नाम पुछते हैं और ज्यादा सा
ज्यादा डांस करा लेते हैं बस...
शिवानी—मैंने पहले साल पेपर में पढा रैगिंग में कपङे उतरवा दिये थे
अचानक 4-5 लङके उन लङकीयों के सामने आ जाते है
लङकी बहुत घबरा जाती है
करण— ऐ गर्ल आर यु फ्रेसर
शिवानी—जी हां
गगन—चलो सबको नमस्ते करो
शिवानी और प्रियंका दोनो ने हाथ जोङकर सबको नमस्ते की
विजय—बेबी आज तो आपका रैगिंग डे है रैगिंग देनी पङेगी चलो उधर चलो
प्रियंका—नही नही हम कहीं नही जायेंगे कोई रैगिंग नही
शिवानी—अगर ज्यादा तंग करोगे तो हम आपकी शिकायत कर देंगे
लक्की—(लाल लाल आंखे निकालता हुआ) हमारी भी तो कभी रैगिंग हुई थी हमने तो
किसी कि शिकायत नही की थी....
विजय—(प्रियंका की छाती को घुरता हुआ कहता है) रैगिंग तो देनी ही पङेगी ही जानेमन
प्रियंका—सैट अप हमारा रास्ता छोङ दो
अचानक पिछे से उठाकर गगन प्रियंका को एक कमरे में ले जाता है
सारे लङके जोर जोर से हंसते हैं
प्रियंका चिखती रही चिल्लाती रही
प्रियंका—शिवानी ................ शिवानी....... कोई है मुझे बचाओ लेकिन कोई नही आता
लक्की—(प्रियंका का गाल पकङकर) मेरी जान यहां पर हमारा राज चलता है कोई नही
आयेगा खुब मुंह फाङकर चिल्लाओ और मजा आयेगा..
प्रियंका—भगवान के नाम पर मुझे जाने दो मैं आपके हाथ जोङती हुं
करण—(शाराब की बोतल मुंह से हटाकर) तुम्हे जाने देंगे तो हमारा क्या होगा स्वीटी
गगन—(प्रियंका की कमर में हाथ डालकर) चलो डांस करो हमारे साथ तुम भी ऐस करो
क्या याद करोगी एन्जोय करो लो एक घुंट ले सो मुढ ठीक हो जायेगा,,
प्रियंका—नही... नही.... छोङ दे मुझे और गगन के मुंह पर थप्पङ मार देती है
लक्की—(खा जाने वाले अंदाज में आता है) साली तेरी इतनी हिम्मत की तुने मेरे दोस्त
पर हाथ उठाया आज तेरा वो हर्ष करूंगा की तु सारी उम्र याद रखेगी
प्रियंका चिखती रही चिल्लाती बिलखती रही सुबकती रही लेकिन किसी ने भी उस मासुम की मासुमियत नही बचाई वह खुन से लथपथ कमरे में पङी रही बेहोशी की हालात में ही दरिंदे अपनी दरिंदगी का खोफनाक मंजर छोङ जाते हैं...
कालेज में पुलिस आती है सबसे पुछताछ करती है
शिवानी—सर कल हमारा कालेज का पहला दिन था हम दोनो बहुत डरे हुए थे तभी चार पांच लङको नो आकर हमारा रास्ता रोक लिया और हमें जबरदस्ती तंग करने लगे एक लङके ने प्रियंका को उठाया और कमरे में ले गये में तो घबराकर भाग आयी थी
दरोगा जी—आप पहचान लोगी उन लङको को
शिवानी—जी सर,,,,,,,,,,,,,,,,,,
दारोगा—प्रिसिपल साहब कृपा आप हमारी मदद करो आपकी मदद के बिना हमारी जांच
पङताल अच्छी नही होगी कोई भी स्टुडैंट बाहर नही जायेगा
पुरा कोलेज बंद कर दिया गया सब स्टुडैंट ग्राऊंड में आ गये
शिवानी सबको देखती है और अमर को पहचान लेती है
शिवानी—सर ये भी उन लङको को को साथ था
दारोगा—(अमर का कालर पकङकर) क्यों बे एय्यास की औलाद और कोन कोन थे तेरे
साथ साले जल्दी बक
अमर—सर.........
बात पुरी भी नही हो पायी थी की दारोगा का झन्नाटेदार थप्पङ अमर के गाल
पर पङा थप्पङ लगते ही गीर गया अमर उठा और सबका नाम बक दिया सर
मैने कुछ नही किया उन लोगो ने ही लङकी के साथ रेप किया था
दारोगा—हवलदार डालो गाङी में उन सालो को भी उठाकर लाना है
लेकर चले जाते हैं
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लङकी के घर का दृष्य
प्रियंका बैड पर गुमसुम बैठी है कई औरते उसके इर्द गिर्द गमगीन मुद्रा में बैठी है उसकी मां लगातार रोये जा रही है
एक औरत—बहन जो होना था हो गया उसमें ना प्रियंका का दोष है ना आपका हमारा
बस भगवान का नाम लो वो सब ठीक करेगा
मां –(रोती हुई) सोनु की मम्मी कैसे भगवान का नाम लुं मेरी मासुम सी बेटी की
आवाज से सारे घर में खुशियां दोङती थी आज इसकी खामोशी सबको जला रही है
और सुबक सुबक कर रोने लगी
दुसरी—कितनी हंसमुख लङकी थी कभी चेहरे से हंसी हटती ही नही थी चाहे कोई कितना
भी उदास होता था प्रियंका को देखते ही खुश हो जाता था बेचारी हमारी भोली सी
बेटी ने क्या बिगाङा था उन दरिंदो का
और बेबस मां अपनी बेटी की बातें सुन सुनकर रोये जा रही थी
प्रियंका की बङी बहन लक्ष्मी आती है और उसका मुंह पकङकर कहती है
लक्ष्मी-- प्रियंका मेरी बहन तु चिंता मत कर मैं उन सबको सजा दिलवाकर रहुंगी
औरत—बेटी अब बार बार इसे वह हादसा याद मत दिलवाओ बुरा सपना समझकर भुल
जाओ इसी में भलाई सबकी भलाई है
तीसरी—बहन बुरी सपना कैसे समझेंगे लङकी की इज्जत ही उसकी सबसे बङी दोलत
होती है जब वही चली गयी तो आब क्या करेगी प्रियंका उन्हे सजा दिलवाकर
कल शादी होगी तो कोई थोङे ही सोचेगा कैसे हुआ यह सब ... बस लांछन ही
लगायेंगे ये दुनिया वाले बङे जालिम होते हैं
लक्ष्मी--आंटी आप कैसी उल्टी सिधी बात कर रही हो क्या इसमें प्रियंका की कोई गलती
है इसको समझाने से तो गये और दुखी कर रहे हो
औरत—बेटी गुस्सा मत कर यह बात बस हम लोग जानते हैं की प्रियेका की कोई गलती
नही लेकिन कोन सुनेगा तेरी और हमारी बात
लक्ष्मी—सब चुप हो जाओ और इसे अकेला छोङ दो
सब प्रियंका को छोङकर बाहर चले गये
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संदेश------ ऐसी क्या गलती की है नादान प्रियंका ने क्यों अपने जो इसके बिना कभी रहते ही नही थे दुख और कष्ट की घङी में इस मासुम को अकेला छोङ दिया क्या लङकी होना ही इसका पाप है हवस के दरिंदो ने इज्जत को तार तार करके हंसती खेलती जिंदगी को विरान कर दिया जिंदगी जिना चाहती है समाज की कटटरता जिने वही देती आखिर क्या करे प्रियंका.......... समाज की अवहेलना मानसिक यातनाएं और जुल्मों के सामने आखिर घुटने टेक देती है और मोत को गले लगा लेती है.....
प्रियंका की लाश कमरे में पङी है मुंह से झाग निकल रहे हैं उसकी मां एक कोने में बैठी शुन्य को निहार रही है ना रोना ना बोलना बस चुपचाप एक टक कहीं देख रही है
लक्ष्मी—मम्मी मम्मी मम्मी कहकर हिलाती है लेकिन कोई जबाब नही बस चुप कहीं खो
रही है उसको कुछ पता ही नही की घर में क्या हो रहा है
प्रियंका का भाई सब रिस्तेदार अब दो दो विपत्तियों में फंसे हैं फर्श पर पङी लाश
को सम्भाले या जिंदा लाश बनी प्रियंका की मां को
आदमी—शर्मा जी भाभी जी को बहुत बङा सदमा लगा है
शर्मा जी एक कोने में सिर पकङकर बैठ गये कुछ समझ नही आ रहा की बेटी
की लाश उठाये या पत्नि की जो जिंदा लाश बन गयी उसे सम्भाले
लक्ष्मी—(रोती हुई) पापा जी अपने आप को सम्भालो और रोकर सीने से लग जाती है
इतनी ही देर में पुलिस आ जाती है चलो हटो हटो हमें अपना काम करने दो
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सन्देश—क्या उन दरिंदो को पता था की तुम्हारा यह नशा और सैक्स का भुत कितने लोगो की जिंदगी तबाह कर देगा चंद पलो के सुख के लिए कितनी जिंदगीयों को नरक बना दिया एक हंसते खेलते परिवार को विरान कर दिया मां की ममता और बच्चो से में
छिन ली शराब की बोतल से मासुमों के आंसु बहा दिये
सारे लङके जेल चले जाते हैं करीब 60- 70 लोग एक ग्राऊंड में बैठे हैं कोई हत्या में है तो अपहरण में कोई डकैती में है तो कोई बलात्कार में
जेलर साहब आते है---- दोस्तों जहां हम इस समय खङे हैं इसको जेल कहते हैं लेकिन सिर्फ अपने अपने अपराध की सजा काटने के लिए ही नही बल्कि एक सुधार ग्रह भी है यहां से स्वंय को बदल कर समाज की धारा में अपने को जोङ सकते हैं और हमारा यही प्रयास रहता है यहां से सब लोग अच्छे नागरीक बनकर जायें बाहर जाने के बाद किसी का कोई बहिष्कार ना करे कोई ठकराये ना बल्कि उन्हे एक अच्छा नागरीक के रूप में स्वीकार करे आगर किसी का कोई सवाल हो आपना नाम और केस बताकर पुछ सकता है जबाब स्वामी जी देंगे यह कार्यक्रम डी.जी. साहब के खाश आदेश से किया गया है
एक कैदी—सर मेरा नाम लक्की है मैं बलात्कार के केस में हुं मेरा सवाल है कि हम अपने किये कैसे पश्चाप करे और स्वंय को किस तरह बदले
स्वामीजी—भगवान श्री कृष्ण कहते हैं क्सी अपराधी ने कितना भी जघन्य अपराध हो और सब छोङकर मेरी शरण आ जाता है तो वह साधु ही मानने योग्य है बस यही बदलाव के तरिका है इसी से पश्चाताप किया जा सकता है जय श्री कृष्णा
वकिल के पास लक्ष्मी और शर्मा जी बैठे है दो आदमी और भी हैं
शर्मा जी—वकिल साहब अब क्या होगा.
वकिल—शर्मा जी उनकी जमानत तो होने नहीं देंगे 5-6 साल जेल में सङना ही पङेगा
लक्ष्मी—(बङे गुस्से में) वकिल साहब मैं उनको बरबाद होते देखना चाहती हुं जिस तरह
मेरी बहन ने तङप तङप कर दम तोङा है उन्हे भी इसी तरह तङपते देखना
चाहती हुं बस और आंखो में आंसु निकल आते हैं
वकिल—लक्ष्मी बेटी तुम चिंता मत करो वो इसी तरह रोयेंगे देकना तुम
एक आदमी बीच में ही बोलता है
आदमी—माफ करना मुझे बीच में बोलना तो नही चाहिए फिर भी क्या उनके रोने से
तङपने से आपकी बहन की आत्मा को शांति मिल जायेगी
लक्ष्मी—मुझे नही पता बस मुझे तो उनसे अपनी बहन का इन्तकाम लेना है मैने उससे
वायदा किया था
आदमी—तो बेटी आप इतने दिनों से स्वंय को नफरत और घृणा का आग में जलाती
आयी हो इसमें किसी का क्या नुकसान होगा आपका ही शारिरिक मानसिक
हानि होगी और तपती रहोगी
लक्ष्मी—मुझे कुछ नही सुनना मैं अपनी बहन के हत्यारों को कभी माफ नही कर सकती
वकिल—लक्ष्मी ये स्वामी जी है भारत की करीब 30 जेलों में अपराधीयों को अपराध
मुक्ति का रास्ता बताते हैं
लक्ष्मी बहुत आश्चर्य चकित हुई कहने लगी क्या आप मुझे जेल में ले जा सकते
हो
स्वामी जी—बिलकुल लेकिन आप वहां एक बहन बनकर नही जो लोग वहां बन्द हैं
सबकी बहन बनकर जाओगी

जेल का दृष्य
करिब 100 आदमी एक जगह बैठे है स्वामी जी लक्ष्मी जेल अधिकारी और कई आदमी वहां पहुंचे
अधिकारी—भाईयों यहां जेल में जो भी बन्दियों के जीवन आचरण और व्यवहार में
परिवर्तन हुआ है बहुत सराहनीय है और हम लोग इसका ब्योरा सरकार को
भी भेजेंगे जो लोग हत्या बलात्कार अपहरण जैसे आरोप में आये थे यहां
कितने शिल और नियम से जीवन जी रहे हैं और लोगो को अपराध मुक्त होने
प्रेरणा भी दे रहे हैं मैं अपने अतिथीयों को उन लोगो से मिलवाना चाहुंगा
लक्की---------- अपने जेल जीवन के बारे मे कुछ बताये
20-22 वर्ष का जवान लङका बङे बङे बाल चंदन का तिलक कहता है
लक्की—मुझे लगता है जेल में आकर मेरा जीवन ही बदल गया जो में दो साल पहले था
उसका चिंतन करता हुं तो स्वंय से ग्लानी होती है नफरत होती है कितना गिरा
हुआ था लेकिन जो काम मेरे मम्मी पापा अध्यापक नही कर पाये पैसा नही कर
पाया यहां आकर गीता के एक श्लोक ने कर दिया मेरा तो जीवन ही बदल गया
मैं कोई ज्ञानी नही हुं जय श्री कृष्णा
स्वामी जी—लक्ष्मी देखा यही है आपकी बहन का अपराधी लक्की क्या कहती हो इसके
बारें में अब अरी जीवन में परिवर्तन बहुत बङी चीज है इसने यहां पर अपने
को कितना कितना तपा लिया है क्या अभी भी यह अपराधी है आदमी के
जीवन में कभी भी परिवर्तन हो सकता है
लक्ष्मी—स्वामी जी आप अपनी जगह ठीक हो यह तो वह लक्की है ही नही जो धन के
नशे में पैसे के नशे में जवानी के नशे में चुर रहता था आज तो यह भक्ति के
ही नशे में चूर है
स्वामी जी—तो क्या आपने इसे क्षमा कर दिया
लक्ष्मी—अब आप मुझे और शर्मिंदा ना करो इसे तो भगवान ने भी क्षमा कर दिया मैं तो कुछ भी नही भगवान सबको खुश रखे



लेखक
शिवा तोमर
संगठन सचिव दिल्ली प्रदेश
(भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान)