बुधवार, 5 अगस्त 2009

भयभीत हुआ मैं


भाईयों जय श्री कृष्णा
जो आज मैं लिख रहा हुं समझ ही नही आ रहा की वह समस्या मेरी ही है, या सबकी है !
अंदर एक अनजाना सा डर सा लगा रहता है ! एक अजीब सा भय रहता है ! मैं उस स्थिती को क्या नाम दुं ??? उस विषय में कोई ठोस निर्णय नही ले पा रहा हुं !
आज रात ही मैं सो रहा था तो अचानक मेरी नींद खुल गयी ! कोई खतरनाक डरावना स्वपन देखा होगा!
काली अंधेरी रात का सन्नाटा ! कहीं कोई भी आवाज नही ! मैं बिस्तर पर लेटा, आंख खोलने की हिम्मत नही हो रही थी ! जीभ तालु पर चिपक गयी ! गला सुख गया ! सारे बदन में सिहरन सी दोङ रही थी ! रोंगटे खङे थे ! दिमाग काम नही कर रहा था ! मैं बिस्तर पर बैठ गया तो ऐसे बैठा जैसे कि दीवार पर किसी ने चिपका दिया हो !
मैंने अपने कमरे में सामने ही मंदिर बनाया हुआ है ! अचानक मेरी नजर मंदिर पर पङी तो मुझे साफ स्पस्ट दिखाई दिया की अंधेरे और सन्नाटे में एक कोई बालक घुटनों के बल हंसता हुआ मेरी तरफ आ रहा है ! उसे देखते ही मुझे कुछ होश सा आया ! और मेरे आंसु निकलने लगे ! मुझे नही मालुम की वह कोन था ?? लेकिन उस पर नजर पङते ही जो मेरे सारे बदन में जङता सी हो गयी थी वह दुर हो गयी ! और चेतनता आ गयी मैंने उठकर पानी पिया और धिरे धिरे सो गया ! सुबह जब उठा तो तब तक भी बदन टुटा सा था ! लेकिन वह हालात मैं अब भी याद करता हुं तो रोंगटे खङे हो रहे हैं ! मुझे कुछ समझ नही आ रहा था, की वह सब क्या था ?? ऐसा भी नही था की मैं सो रहा हुं ! मैं तो अपने बिस्तर पर बैठा था आंखे खोलकर !वह बालक कोन था जो मंदिर की तरफ से मेरी तरफ हंसता हुआ आ रहा था मैं इतना ज्यादा डरा कैसे ???
जय श्री कृष्णा
शिवा तोमर-9210650915