गुरुवार, 7 जुलाई 2016

महिला सुरक्षा खोखली बातें है

हर सरकार, हर नेता और प्रशासन सारा समाज महिला सुरक्षा और महिला उत्थान और उनके अधिकारों के बड़े बड़े दावे करते है लेकिन मित्रो असलियत सब खोखला है, बस कागजों में और संसद में लोग अपनी वोटों की खातिर बात करते है और उनकी बातें सुनकर ऐसा लगता है की हर व्यक्ति बहुत गंभीर है। मेरे सामने अभी दो मामले आये जिससे मेरा सारी व्यवस्था से विस्वास उठ गया है। हुआ यूँ की कल रात में एक केस विकासपुरी से हमारे यहां अपराध मुक्त अभियान के कार्यालय में आया एक बीमार महिला अपनी 7 साल की बेटी के साथ अपने ससुराल के घर के बहार बैठी थी। यह लड़की अपनी पीड़ा को लेकर हमारे पास पहले भी आई थी, उसने हमें बताया की मेरे साथ बहुत वर्षों से इतना अत्याचार कर रहे है की में शब्दों में नहीं बता सकती, और उसकी हालात देखकर भी लगता है की कितना अपमानित और प्रताड़ित किया होगा, पड़ोसियों ने बताया था की कई कई दिन इसको खाना भी नहीं दिया। तो कल जब वह अपनी 7 साल की बेटी को लेकर अपनी ससुराल आई तो इतनी गर्मी में आग उगलते तापमान में बहार बैठी रही लेकिन उसके ससुर सामने बैठे लेकिन इतनी गर्मी में वो नहीं पिंघल सके। और उस बीमार मजबूर और बेबस महिला को अपराध मुक्त अभियान में अजय त्यागी जी के पास फोन किया की मेरी सहायता करो और फोन पर ही रोने लगी। त्यागी जी ने मुझे कहा की शिवा देखना भाई एक बार जाओ तो मैंने पहले स्वाति मालिवाल जी के नम्बर पर फोन करके पूरी जानकारी दी। इस बार हम कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहते थे। वहाँ से भी कौन्सेलर आई। उन्होंने उसके ससुर और ससुर के छोटे भाई से बात की लेकिन वो लोग बड़े घाघ है, किसी की बात मनाने वाले नहीं है। महिला आयोग वाली ने हर प्रकार से समझाया लेकिन वो टस से मस नहीं हुए । आखिर हम लोग पीङीत महिला को लेकर पूरी टीम अजय त्यागी, सुरेश कुमार, बलवान चंदेला, अखिलेश पांडे और संदीप कुमार के साथ थाने चले गए। वहां जाकर पता चला की उस बेचारी ने बहुत सारी 100 नम्बर पर कॉल की है और किसी भी काल पर पुलिस ने उसके ससूराल वालों पर कोई कारवाही नही की। जो उनका केस देख रहा था वो हमारे सामने उस लड़की की हजारों निकालने लगा, उसकी बात सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे वो पुलिस वाला नहीं लड़के वालों के घर का कोई आदमी है। उसने स्पस्ट कहा की हम इसको घर में नहीं घुसा सकते। महिला आयोग भी विवश। और वो महिला थाने में ऐसे अकेली खड़ी है जैसे उसका इस दुनिया में कोई नहीं है बिलकुल अकेली बेसहारा और अनाथ हो। मुझे मोदी जी के बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ योजना का याद आई की क्यों इस कुंठित समाज में मोदी जी अच्छे दिन खोज रहे हैं और चिंता उन माँ बाप की हुई जिनके घर के आँगन में छोटी कलियाँ चहकती खेलती है। मुझे लगा की कोई कितनी भी बाते कर ले बड़े बड़े वायदे कर ले लेकिन जब तक इस कमीनेपन और लालच पर कठोर अंकुश नहीं लगेगा तो कुछ नहीं हो सकता। लड़के वाले तो एक सुनियोजित और योजनाबद्ध तरीके से चल रहे है, लड़के के पिता ने लड़के और बहु को अपनी चल अचल संपत्ति से बेदखल किया हुआ है। और उस मजबूर और बेसहारा को तो यह भी नहीं पता की तेरे खिलाफ कितनी खतरनाक साजिश इन लोगों ने कर रखी है। लड़की के भाई ने भी लड़ाई कर दी और कहा हम कब तक तुझे अपने घर रखेंगे और लड़के वालों ने घर पर ताला लगा दिया, तो वो महिला कहाँ जाये। में भी बहुत उदास और हताश हो गया जब पोलिस जाँच अधिकारी ने और महिला आयोग ने कहा की कुछ नहीं हो सकता अब तो अदालत ही करेगी इनका कोई फैसला। ओर अदालत का तो अपना तरीका है कई साल लग जाते है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतने दिन फैसले के इंतजार में मजबूर महिला कहाँ जाये, क्या करे, क्या खाये अपने आंशुओं से अपने बच्चों को कैसे पालेगी। माननीय मोदीजी, लोकसभा स्पीकर माननीय सुमित्रा महाजन जी, केजरीवाल जी, राजनाथ जी, सर्वोच्च न्यायालय मेरा सभी से निवेदन है की कोई ऐसा कानून लाओ जो हमारी बहन बेटी जो कानून की आँखों पर बंधी पट्टी के कारण आज प्रताड़ित और अपमानित हो रही है, उसमें सुधार हो। इस कानून में कोई संसोधन होना चाहिए जो दहेज़ के लालची दूसरों की बेटी की कोई इज्जत नहीं समझते और खतरनाक योजना बनाते है की लड़की खुद ही दुखी होकर भाग जाये और उसके माँ बाप कुछ भी नहीं कर सके। अगर बेदखल लङके को कर रहे हैं तो शादी के समय तो बेदखल नही किया था, पिता और घर को देखकर ही तो लङकी के माता पिता शादी करते है। यह घिनोनी साजीश लोग करते हैं इसमें कोई संसोधन होना चाहिए। आज हालात यह है की कागजों में और लङकी से पिछा छुङाने के लिए लङके को बेदखल कर देते हैं और अपने पास ही रखते हैं। इसमें कुछ संसोधन होना चाहिए क्या राय है आप सभी की जरूर बतायें। अपराध मुक्त अभियान 9582249616, 9971731203