शनिवार, 12 जून 2010

लेखको से एक अपील..........

ब्लोग जिसे हम अपने विचार ज्यादा से ज्यादा लोगों तक भेज सकें वो एक माध्यम था। लेकिन कुछ लेखकों की तुच्छ और संकिर्ण मानसिकता ने ब्लोग को इतना गंदा कर दिया पढें तो क्या देखने का भी मन नही करता। एक अच्छा लेखक वो ही होता है जो अपनी कलम के माध्यम से समाज में एकता अखंडता और भाईचारा बनाने में साहयक हो अपनी किसी भी लेखनी से दरार मत डालो। किसी ने भगवान को देखा है ना अल्लाह को तो हम क्यों एक दुसरे पर किचङ फैंकते रहते हैं। कोई देवी देवता पीर पैगम्बर हमारा कोई लाभ नही कर सकता। अगर कोई आग के ऊपर हाथ रखे और याद करो किसी भी पैगम्बर को तो भी हाथ जलने से नही बच पायेगा। हमें स्वंय ही अपने विवेक से भङकी हुई आग से बचना है। मत बनो वो चिंगारी जिससे समाज से प्रेम,सहानुभुति और दया विस्वास नाम की चीज जलकर राख हो जाये और आपसी भाईचारा जो दिन पर दिन खत्म होता जा रहा है। उसमें हमारी कलम और लेखनी का बहुत बङा हाथ है। मैंने कई ब्लोग पढे कोई हिंदूओं पर कालिख पोतने की कोशिश करते हैं, तो कोई मुस्लिमों का मुंह काला करने के पिछे पङे रहते हैं। दोस्तो आप एक बात बताओ अगर हममें से कोई चाहे कि सुरज पर गंदगी फैंक दे इस हमारे पागलपन से सुर्य पर कोई असर नही पङेगा लेकिन हमारे अंदर द्वेष नाम की बीमारी अपने पैर पसारती चली जायेगी। और यह एक ऐसा शत्रु है कि आज राम पर मेहरवान है तो कल खान साहब पर भी कुर्बान हो सकता है। आपसे एक अपील है कि आज के बाद कोई भी ब्लोग ऐसा ना लिखें जो किसी को आहत पहुंचे। अगर किसी के अंदर ज्यादा द्वेष, घृणा और नफरत भरी पङी हो तो मुझसे फोन पर बात कर और अपनी सारी घृणा क्रोध मुझ पर निकाल दे। जिससे सैंकङो लोग इस नफरात की आग में ना झुलसें। हमारे ऊपर तो ऐसा कवच है कि किसी भी नफरत की ज्वाला का कोई असर नही होता। जय हिंद जय भारत