सोमवार, 31 अगस्त 2009



पढकर सोच रहे होंगे की कैसा आदमी है सुबह सुबह ही आग की बात कर रहा है लेकिन दोस्तों क्या करें आज हमारे देश की ऐसे ही हालात हो गये हैं हर तरफ आग ही आग दिखाई पङती है कोई भी समाचार पत्र देखो या कोई भी चैनल देखो चारो तरफ खुन ही खुन हिंसा ही हिंसा कही किसी बच्ची की चीख तो कहीं किसी महिला की पीङा की कराह कहीं बीच बाजार में धमाकों से हुए शरीर के लोथङे और खुन ही खुन
है ना चारो तरफ आग ही आग
पता तो हम सबको है देखते पढते सुनते हम सब हैं लेकिन जीवन की व्यस्तता के कारण सबको अनदेखा करके अपने काम में ही लगे रहकर बस अपने परिवार की ही चिंता करते रहते हैं
मुझे एक बात याद आती है मैं उस समय 10-12 वर्ष का था हमारे गांव में एक महिला घर के झगङे में कुएं में डुबकर आत्महत्या कर ली थी उस दिन सारे गांव में सन्नाटा सा छाया रहा एक दहशत सी फैली रही सारा दिन
ऐसा लग रहा था जैसे की सारे ही गांव को ही यह सन्नाटा निंगल लेगा कोई किसी से बात नही कर रहा था हर आदमी चाहे पुरूष हो महिला सब सब डरे हुए थे सहमे हुए थे कोई किसी से बात बात तक नही कर रहा था थोङी थोङी देर में पुलिस चक्कर लगा रही थी
एक बुढा बाहर से आया और कहने लगा की क्या बात है आज तो सारा गांव ही सुनसान लग रहा है
आज भी मुझे उस बुढे की बात याद आती है एक औरत के मरने पर सारा गांव उदास हो गया था लेकिन आज हर रोज पता नही कितनी महिलाएं मरती है और कितनी बच्चीयां की चीख निकलती है तो कितने कत्ल होते हैं लेकिन किसी के ऊपर कोई प्रतिक्रिया नही कोई दुख नही कोई अफसोस नही कि किसी के साथ कुछ हुआ है
चारो तरफ आग ही आग और लोग मजे में रह रहे हैं कहां गई सारी मानवता किसी के अंदर कोई करूणा नही कोई सद्भावना नही बस अपना काम बनता ऐसी तैसी करे जनता
ये मानसिकता हो गयी है
समाज झुलस रहा है देश झुलस रहा है और हम बङे चैन से सो रहे हैं
मुझे तो बहुत बैचेनी होती है क्या करूं सहन नही होता तो बस थोङा भावुकता के आंसु बहाकर या लिखकर ही अपनी भङास निकाल लेता हुं
अभी मैंने एक दिन एक खबर पढी की एक महिला को किसी ने टक्कर मारी वह सङक पर गिर गयी जिसने टक्कर मारी उसने अपनी गाङी को रोका नही बल्कि तेज भगाकर ले गया चलो उसके अंदर तो इन्सानियत थी ही नही वह सङक पर पङी पङी चिल्लाती रही किसी ने उस खुन से लथपथ एक बेबश अबला की चीख नही सुनी किसी ने भी अपनी गाङी को रोका तक नही अरे बाबा रोकना तो दुर रहा किसी ने ऱफ्तार भी कम नही की बल्कि अखबार में तो लिखा था कि उसको कुचल भी दिया था
हे भगवान क्या होगा बस लिख रहा और आंखो से आंसु बहा रहा हुं
हे भगवान हर प्राणी में प्रेम सद्भावना करूणा दया और मानवता जगे जो यह आग फैल रही है इस संसार में इसमें कोई ना झुलसे बससससससससससससस
जय श्री कृष्णा
शिवा तोमर-09210650915