शनिवार, 20 जून 2009

कोन कहता कि श्याम आते नहीं



कोन कहता कि श्याम आते नहीं
श्याम तो आते हैं लेकिन
हम कभी बुलाते नहीं ....
जिसने भी उन्हें बुलाया
वो दोङे आये हैं .........
बस यही था की बुलाने वालों
के दिल में प्रेम और आंखो में
आंसु आये हैं ........

आस हम जब जग की लगाते हैं
तो श्याम से हम दुरी बनाते हैं
द्रोपदी ने पुकारा था श्याम को
खाना छोङकर दोङे आते हैं लाज बचाने को......
दुनिया को हम निहारते हैं हर पल
श्याम को भुल जाते हैं
कष्टों के पहाङ टुटते हैं, दुखों के दानव आते हैं
लोगों के सामने तो आंसु बहाते हैं.......
श्याम को भुल जाते हैं
सबको अपने दुखङे सुनाते हैं
सबके सामने गिङगिङाते हैं
लेकिन क्या करें जिसके सामने भी आंसु बहाते हैं
हमारी सुनने से पहले ही अपनी व्यथा सुनाते हैं
अरे नादान
पागल
अज्ञानी
क्यों इधर उधर भाग रहे हों
उसके सामने रोओ जो सबको हंसाते हैं
सुना है भक्त नाम सुदामा का
ना जाने कितने कष्ट उठाये और आंसु बहाये थे
रोते रोते जय श्री श्याम
भुखा पेट पानी पीकर सोये थे
सुन सुदामा की पहन फटी धोती दर पे आये हैं
छोङ राज पाट राणी महल नंगे पाव
धरा पे गिरा पिताम्बर सुदामा से मिलने आये थे
अपने सारे गम
अपनी सारी पीङा
अपनी व्यथा
क्यो श्याम को
एक बार कहकर तो देखो
अभी तक दुनिया के सामने रोये हैं
और आंसु के बदले आंसु ही पाये हैं
ओ मेरे श्याम ओ घनश्याम
जय श्री कृष्णा जय गोपाल
मदन मुरारी जय नंदलाल नही सुनाते