गुरुवार, 10 जून 2010

मां बाप से दुर हो रहे बच्चे


सुनने में बङा ही कष्ट सा हो रहा हो लेकिन ये बात बिलकुल सत्य है। जैसा आज हर तरफ देखा जा रहा है कि कही भी चले जाओ। मैं रोज पार्क में जाता हुं और ज्यादा घुमना मुझे अच्छा लगता है। रोज बुजुर्ग लोग अपनी अपनी व्यथा सुनाते रहते हैं कि कैसे उनके बच्चे उनसे अलग हो रहे हैं उनकी अनदेखी कर रहै हैं। जो मां नौ माह बच्चे को पेट में अपने खुन से सिंचकर पालती है और रात दिन उसकी गंदगी को कितने प्यार से साफ करके नये कपङे पर सुलाती आज वही उसी मां की खांसी से बहु बेटा तंग होकर उसे एक कोने में डाल दे रहे हैं। एक छोटी सी कहानी मेरे याद आती है। एक घर में एक बुढिया एक बुढा एक बेटा और उनकी बहु। बहु जो नयी आयी तो कई दिन तक अपने सास ससुर को बङे चाव से खाना खिलाया उनकी सेवा की लेकिन थोङे ही दिनों में पता नही क्या बात हुई छोटी छोटी बातों पर लङाई होने लगी घर में क्लेश बढता चला गया इसी दौरान बीमारी से जुझती हुई बुढी मां चल बसी। बेचारा बुढा अकेला रह गया कोन उसकी सुने किसे वह अपनी व्यथा सुनाये। अब सुसर और बहु में लङाई होने लगी बात यहां तक पहुंच गयी की वो लङका जो उस बुढे का इकलौता बेटा था बीबी को कहने लगा की अब तु ही बता किस तरह इस लङाई से इस क्लेश से मुक्ति मिल सकती है। बीबी कहने लगी कि जब तक ये बुढा घर में रहेगा लङाई की आग लगी रहेगी कोई नही बुझा सकता। दोनो ने फैसला ये किया की इसे कही अनाथ आश्रम में छोङ आये। एक दिन बुढे बाप को गाङी में बैठाया और एक अनाथ आश्रम के सामने लाकर बोला की पिता श्री आप यहां बैठना मैं आता थोङी देर में और ठंड है ये चद्दर ओढ लेना। बुढा हंसा और बोला बेटा बात सुन जरा इधर आ। उसने उस चद्दर को फाङकर आधी उसे दी और कहने लगा की ये तेरे काम आयेगी इसमें तेरी गलती नही है मैं भी अपनी बीबी के कहने से तेरे दादा को इसी तरह छोङकर आया था मुझे तो तुने यह चद्दर दे भी दी पता नही तुझे मिले या नही ले लेजा इसे। लङका बाप की बात सुनकर रोने लगा और गले लगा लिया। वापस घर ले आया। बच्चों को उनकी सम्पत्ति से ज्यादा प्यार है।
मैं ये नही कह रहा कि सब बहु बेटे गलत हैं लेकिन दोस्तो बुढे आदमी का दिमाग बिलकुल बच्चे की तरह हो जाता है। एक बार की बात है एक लङका छुट्टी वाले दिन अपने घर पर बैठा सब आराम से बैठे थे। अचानक उसे पिताजी ने कहा बेटा वो क्या है एक पेङ पर बैठे पक्षी की तरफ इसारा करते हुए कहा। बेटे ने कहा कि काग है। उसने फिर पुछा..... तीन चार बार पुछने पर वो बेटा झल्लाकर पङा कहने लगा पिताजी आपका दिमाग खराब हो गया है या पागल हो गये हो। बुढा हंसा और कहने लगा की बेटा जब तु छोटा था तो 20 बार पुछता था तो भी मैं हंसकर और प्यार से बताता था तु मेरे दो चार बार के पुछने पर ही चीङ गया। दोस्तो मां बाप जैसी कोई चीज दुनिया में नही है। पहले उनको देखो बाद में कोई दुसरा काम करो क्योंकि हमें इस धरा पर लाने वाले वो ही है। कितने कष्ट सहकर मां बच्चे को जन्म देती है अब पता चला है मुझे मेरी बीबी गर्भवती है तीन महीने से ना तो ठीक से खाना खा पायी है और उल्टी सिर में तेज दर्द से किस तरह वो परेशान रहती है लेकिन कहती है मेरे बच्चे पर कोई असर नही पङना चाहिए चाहे मैं कितनी भी दुखी हो जाऊं लेकिन दवा नही लुंगी। अपना मन पसंद खाना भी छोङ दिया। उसी की बात नही हर मां इसी तरह से दुख उठाकर बच्चा पैदा करती है। और मै सोचता हुं कि चाहे मैं ना खाऊं लेकिन राधा को खिलाऊ कहीं बच्चा भुखा ना रह जाये। और हम बङे होकर उन्ही मां बाप को खाना नही देते जो खुद भुखा रहकर हमें खिलाते हैं। जो मां अपने पेट में सुलाती पुरे नौ माह रखती है उन्हे ही घर में नही रहने देते।
एक बार युद्धिष्ठर से पुछा यक्ष ने धरती से बङी क्या चीज है और आसमान से बङा कोन है तो युद्धिष्ठर ने कहा कि मां बाप हैं यक्ष ने खुश होकर उसके चारो भाईयों को जीवित कर दिया था । मां बाप की सेवा सबसे बङी सेवा है।
लोग मंदिरों में जाते हैं और जाना भी चाहिए मां पर चुन्नी चठाते हैं और घर में बैठी मां को दुत्कारते है क्या मंदिर वाली मां कभी खुश होगी ..... हो ही नही सकती। एक बार गणेश जी और कार्तिकेय में झगङा हो गया वो कहे में ताकतवर हुं वो अपने को बताये। तो फैसला ये हुआ कि जो भी धरती का चक्कर पहले लगा कर आयेगा वो ही बङा है। कार्तिकेय की सवारी तो बङी तेज हवा में उङने वाली और गणेश जी तो चुहे पर चलते है। वो सोच में पङ गये की क्या करूं। शिव पार्वती बैठे थे उनके दिमाग में आया की मेरे लिए तो मेरी मां बाप हो धरती से बढकर है और उनकी ही परिक्रमा कर दी। अब जहां भी कार्तिकेय जाते गणेश जी के चुहें बाबा के चरण चिन्ह पहले ही दिखाई देते।
दोस्तो जिसने मां बाप को खुश कर दिया वो बच्चा जीवन में कभी भी दुखी नही हो सकता। और जिस बच्चे ने मां बाप की आंखे रूला दी उसको इस जहां में भगवान भी नही हंसा सकता।।।।

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