शनिवार, 5 जून 2010

हम हो रहे हैं पथ भ्रष्ट..........



जैसा देखा जा रहा है और हम सबके समक्ष है कि समाज में कितनी भ्रष्टता बढती जा रही है। ना किसी के अंदर कोई डर ना शर्म। बस पशुओं की भांति व्यवहार करते रहते हैं बस अपना ही सोच कर काम करते हैं। ये नही देखते की क्या करना और क्या नही करना। ऐसा नही है कि कोई गरीब या कम शिक्षित ही कोई अनुचित कार्य करता है। चाहे कोई कितने बङे पद पर क्यों ना प्रतिष्ठित हो वहीं पर भ्रष्टाचार में लिप्त है। एक बार एक अखबार में खबर छपी की किसी बङी कम्पनि के बङे अधिकारी ने किसी का मोबाईल चौरी कर लिया और बाद में उसे हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया क्या उसके पास किसी चीज की कमी थी जो चौरी करनी पङी। दुसरा किसी भी सरकारी अधिकारी जो जनता के काम के लिए बैठा है उसके पास चले जाओ तो कोई एक आध होगा 100 में जो बिना किसी के लालच के अपना फर्ज समझकर काम करता है नही तो सबकी ये ही सोच बनती जा रही है की पगार तो सारी बच जाये और ऊपर से ही काम चल जाये। ये में अपने बीती ही लिख रहा हुं। और ऐसी भी नही है कि सिर्फ पुलिस. एमसीडी. अदालत या किसी एक विभाग की बात हो रही है। चाहे कितने बङे पद पर हो और कितनी भी पगार हासिल हो लेकिन मेज के निचे की कमाई अवश्य चाहिए। मैं सभी को नही कह रहा हुं हां कोई ऐसा भी हो सकता है जो जितना मिल जाये उसी में संतुष्ट हो लेकिन इस समय ना के बराबर ही है। जिसके पास ऊपर की कमाई का साधन नही है और वो कहे की मैंने आज तक कहीं से कोई गलत धन का संग्रह नही किया तो उसकी बात में कोई दम नही है। हर आदमी अपने पद की गरीमा को भुलकर बस धन कमाने के पिछे पङा है। अरे भाई कोई घर ग्रहस्थ तो कमाई करने की सोचता है तो फिर भी ठीक है आजकल तो बाबा लोग जिन्हें साधु संत गुरू कहते हैं लोग वो भी धन कमाने की होङ में ऐसे लगे हैं कि ये भी नही देख रहे कि तुम्हारे वेष स्वरूप और कर्मों को कितने लोग उसी अनुसार देखकर कर्म करते हैं, घरों में उनके फोटो लगाकर भगवान की तरह उन्हे पुजते हैं। जब वो भी पथ भ्रष्ट हो रहे हैं तो अन्य तो होगे ही। जब समाज सुधारक ही ऐसे होगे तो क्या होगा ऐसे समाज का।
गीता में कहा गया है कि श्रेष्ठ पुरूष जैसा जैसा आचरण करता है उनको देखकर दुसरे भी वैसा ही करते हैं। जब बाबा धनादि के संग्रह के लिए देह व्यापार तक करने से नही चुकते तो दुसरे क्या करेंगे सब पथ भ्रष्ट होते जा रहे हैं। किसको दोष दे किसको सजा दें।
अर्जुन के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण ने इस समाज को बताया भी था कि क्यों आदमी गिरता है, क्यों अपराध करता है। इसका कारण जो उन्होंने जो बताया है उसको कई भाग में विभाजित करके हमें समझाया है। कहा कि विषयों के बार बार चिंतन करने से उनमें आसक्ति पैदा होती है, आसक्ति से उनकी कामना बढती है और कामना में विघ्न पढने पर क्रोध आता है क्रोध से स्मृति में भ्रम पङ जाता है और व्यक्ति अपनी स्थिती से गिर जाता है। कितना बङा खुलाशा किया है जो बाबा है उनके पास इसे पढने का समय कहां है। जब चिंतन बढता जाता है तो वह किसी की हत्या भी कर सकता है और अपहरण, बलात्कार भी और देह व्यापार में भी लिप्त हो सकते हैं। थोङा सा समझे कि कैसे चलता है चिंतन,, एक बार एक क्लर्क(राम) था बेचारा सिधा साधा और साईकल से दफ्तर आता था। उसी के दफ्तर में दुसरा क्लर्क जो उसके बाद में आया उसने मोटरसाईकल ले ली तो राम के दिल में भी आया की अगर मेरे पास भी मोटरसाईकल हो तो मेरा कितना समय बचेगा घर से आने में। उसका अब ये ही चिंतन चलता रहने लगा। आखिर एक दिन उसने अपने साथी क्लर्क से पुछ ही लिया की भाई तुने इतने कम समय में कैसे इतना पैसे बचा लिया जो मोटरसाईकल और सारा समान भी खरीद लिया। उसने उसे बताया वो ही रास्ता मेज के निचे वाला। तो बेचारा सुनकर पहले तो घबरा गया। लेकिन हर समय चिंतन करता रहा उसे अब कुछ नही सुझ रहा था पैसा ही पैसा उसके नजरों के सामने नाचता रहता। उसके दिमाग सारे काम से हटकर पैसे पर ही घुमता रहता। और वह भी आखिर एक दिन उसी दल दल में फंस गया जिसमें फंसकर आज तक कोई बाहर नही निकल पाया। वह अपनी स्थिती से गिर गया था।
चाहे शिक्षा कि कितनी भी उपाधी प्राप्त कर ली हों डाक्टर हो या कितना बङा अधिकारी हो या कोई मजदुर चिंतन तो हर कोई करता है।
बस ध्यान इतना रखे की उस चिंतन को चिंता में ना तव्दील ना होने दें, उसका प्रयोग हम सावधानी से करे।
भ्रष्टता को हम सब मिलकर ही समाप्त कर सकते हैं। इससे सब पीङीत हैं कोई नही चाहता की ऐसा हो अगर कोई अपना काम अदालत में या किसी और विभाग में पङा हो और वहां पर हमसे कोई 10000 रूपये मांग लेता है हम कहते हैं कि बङा भ्रष्टाचार पऐल गया है हर जगह कहीं कोई साफ सुथरी जगह ही नही बची। क्या होगा देश का लेकिन अगर हम किसी ऐसे पद पर बैठे हों जहां पर कोई दुसरा काम के लिए आये तो सोचते हैं कि 10 की जगह 15 मिल जाये। किसी को बुरा लगे या नही लेकिन बात विलकुल सत्य है। अरे भाई अगर कोई दिल्ली पुलिस में 5-7 लाख रूपये देकर भर्ती होता है तो वो सिर्फ पगार के लिए ही नही होता वो तो 7 लाख एक वर्ष में ही कमाना चाहता है। जीवन में तरक्की अवस्य करनी चाहिए धन दौलत सब कमाओ लेकिन कुछ इस तरह से कमाओ की उस पैसे में किसी आह ना हो। आगे बढने का चिंतन करो लेकिन चिंता ना करो बाकि आप सब बहुत समझदार हैं।

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